मप्र के राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट का आदेश सही था: सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में पिछले माह हुए राजनीति संकट को लेकर सोमवार को अंतिम आदेश सुनाया जिसमें उसने कहा कि तत्कालीन हालात के मुताबिक राज्य विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने के राज्यपाल का आदेश सही था।
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में पिछले माह हुए राजनीति संकट को लेकर सोमवार को अंतिम आदेश सुनाया जिसमें उसने कहा कि तत्कालीन हालात के मुताबिक राज्य विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने के राज्यपाल का आदेश सही था।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अजय रस्तोेगी की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश फ्लोर टेस्ट पर 68 पृष्ठों का विस्तृत आदेश पारित किया। न्यायालय ने गत 19 मार्च को अंतरिम आदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को अगले दिन विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था। न्यायालय ने आज कहा कि मामले के तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट का आदेश देना सही निर्णय था। खंडपीठ ने कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को नामंजूर कर दिया कि राज्यपाल इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकते।
Madhya Pradesh govt formation case: Supreme Court bench headed by Justice DY Chandrachud says the Governor was right in ordering the floor test and that it was necessary as the govt had lost the majority. pic.twitter.com/6kUbNiOcUg
— ANI (@ANI) April 13, 2020
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा के चालू सत्र के दौरान भी अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पुरानी याचिका पर शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल के अधिकारों के टकराव के मुद्दे पर विस्तार से फैसला सुनाया। यह याचिका उन्होंने पिछली सरकार के समय फ्लोर टेस्ट और विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर दायर की थी।
दरअसल, गत मार्च महीने में जब मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल आया हुआ था और पूर्ववर्ती कमलनाथ की कांग्रेस सरकार पर संकट मंडरा रहा था, तब भारतीय जनता पार्टी के नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया गया था और तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाने को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने तब फ्लोर टेस्ट तुरंत कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।(वार्ता)
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