गणेश चतुर्थी पर विशेष: जागे दिल्ली वाले.. मनाएंगे इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव

डीएन ब्यूरो

देश की राजधानी दिल्ली में भी गणेश चतुर्थी को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। इस बार दिल्ली वाले भी पर्यावरण को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहे हैं, इसलिये उन्होंने इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव मनाने का निर्णय लिया है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



नई दिल्लीः गणेश चतुर्थी की तैयारियों को अंतिम रूप देने में न सिर्फ भक्त बल्कि दुकानदार भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। महाराष्ट्र में काफी प्रचलित यह गणेश चतुर्थी का त्यौहार अब न सिर्फ दिल्ली बल्कि दूसरे महानगरों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। 

बात अगर दिल्ली की करें तो यहां गणेश जी के प्राचीन मंदिरों में विशेषतौर पर तैयारियां की गई है। वहीं भगवान गणेश की प्रतिमाओं से सजे बाजारों में भी खासी रौनक देखने को मिल रही है।  

यह भी पढ़ेंः गणेश चतुर्थीः महाराष्ट्र ही नहीं दिल्ली के मंदिरों व बाजारों में भी रौनक, भक्तिमय हुई दिल्ली

डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में महाराष्ट्र सरकार के अधीन चलाई जा रही महाराष्ट्र एम्पोरियम की एक शॉप में जाकर जाना गणेश चतुर्थी को लेकर दुकानदार और ग्राहक किस तरह से है तैयार।

महाराष्ट्र से विशेषतौर पर मंगाई गई इको फ्रेंडली मूर्तियां

1. कनॉट प्लेस में महाराष्ट्र एम्पोरियम में मूर्तियों के बारे में बताते हुए इसके विक्रेता कहते हैं कि उन्होंने यह पहली बार देखा है कि दिल्ली के ग्राहक बढ़चढ़कर यहां आकर खरीदारी कर रहे हैं।

2. विक्रेता का कहना है कि उनके पास एक महीने पहले से ही मुर्तियों की एंडवास बुकिंग आई थी। अब तो तैयारियां पूरी हो चुकी है। 

यह भी पढ़ेंः गणेश चतुर्थी पर दिल्ली के प्राचीन गणेश मंदिर में नये रूप में विराजेंगे विघ्नहर्ता, पूजन-स्वागत की जोरदार तैयारियां

यह भी पढ़ें | Happy Vinayak Chaturthi: आज घर-घर पधारेंगे बप्पा, ऐसे करें मूर्ति की स्थापना

3. महाराष्ट्र एम्पोरियम में जितनी भी मूर्तियां अभी दिख रही ये सब बुधवार शाम तब ग्राहक अपने घरों में गणपति को विराजमान करने के लिए ले जाएंगे।

4. हालांकि मंहगाई का असर जरूर देखने को मिला है, जिससे मूर्तियों को बनाने में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा लागत आई है।

5. दिल्ली के ग्राहकों में भक्तिमय महौल है जिस वजह से ज्यादा मोलभाव की जरूरत नहीं पड़ रही। 

6. इस बार स्वच्छता व ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को देखते हुए सभी मूर्तियां इकोफ्रेंडली बनाई गई है। जो पर्यावरण के अनुकूल है। 

दिल्ली के ग्राहकों में भी दिखी जागरुकता  

1. सरकार के स्वच्छता अभियान का असर इस पर ग्राहकों में भी खासा देखने को दिख रहा है। झंडेवालान स्थित पंचकुईयां रोड हो या फिर कनॉट प्लेस का महाराष्ट्र एम्पोरियम हर तरफ ग्राहक मूर्तियों को लेने से पहले उसके बारे में पूछताछ कर रहे हैं।

2. गणपति विसर्जन के बाद जो नदियों की हालत होती है और पानी में मूर्तियां कई महीनों से ऐसी ही पड़ी रहती है। इसे देखते हुए ग्राहक काफी सर्तक नजर आ रहे हैं।

3. मूर्तियों को लेने से पहले दुकानदारों से ग्राहक यह पूछ रहे हैं कि यह मूर्ति पर्यावरण के अनुकूल यानी इकोफ्रेंडली तो है न।

यह भी पढ़ें | Ganesh Chaturthi 2022: हर शुभ कार्य में सबसे पहले क्यों की जाती है भगवान गणेश की पूजा, जानिये दिलचस्प कहानी

4.  दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण व जमना नदी की दयनीय स्थिति को देखते हुए जो भी बाजारों से मूर्तियां ले जा रहे है ऐसे ग्राहक स्वच्छता व पर्यावरण का अवश्य ध्यान रख रहे हैं। इससे सरकार के स्वच्छता अभियान का भी दिल्लीवालों पर खासा असर देखने को मिल रहा है।   

यह भी पढ़ेंः जाने क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी.. क्यों होती है गणपति की सबसे पहले पूजा

5. कनॉट प्लेस में गणपति की मूर्ति लेने पहुंची रश्मि टंडल कहती हैं कि भगवान गणेश सभी के घरों को मंगलमय करें और गणेश चतुर्थी पर गणपति सब पर प्यार बरसाए। वहीं मूर्ति विसर्जन के बाद पर्यावरण को भी नुकसान न हो इसलिए वह इको फ्रेंडली मूर्ति को खरीद रही है। ताकि विसर्जन के बाद यह मूर्ति पानी में जल्दी घुल जाएगी। उनका कहना है कि दिल्ली की साफ-सफाई का ख्याल तो दिल्लीवालों को ही रखना होगा। 

यह भी पढ़ेंः गणेश चतुर्थी पर जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, इन मंत्रों से होगी भक्तों की मनोकामना पूरी

6. महाराष्ट्र एम्पोरियम में 108 गणपति की मूर्तियों का एंडवास ऑर्डर देने वाले सुरेश गर्ग जो आईपी एक्सटेंशन में रहते है। कहते हैं कि यहां मुर्तियों को लेने इसलिए पहुंचे हैं क्योंकि महाराष्ट्र एम्पोरियम जो मूर्तियां मंगाई गई है वो सभी पर्यावरण के अनुकूल यानी पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है। 

वहीं दिल्ली में बढ़ रही गंदगी को लेकर ये ग्राहक काफी सर्तक नजर आए। इनका कहना है कि इन सभी मूर्तियों का विसर्जन करने के लिए जमना नदी में नहीं बल्कि जहां ये रहते हैं वहीं पार्क में दबा देंगे। 
 










संबंधित समाचार