जानें...आखिर ऐसा क्या हुआ कि गूगल की नौकरी और लाखों का सैलरी पैकेज छोड़कर बनीं साध्वी
काशी में चल रही परमधर्म संसद में एक ऐसी महिला भी आई हैं जो लाखों का सैलरी पैकेज छोड़कर साध्वी बन चुकी हैं। ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद धर्म संसद में सबसे कम उम्र की प्रतिनिधि हैं, जो गूगल की नौकरी छोड़कर यहां पहुंची हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट...
वाराणसी: एक तरफ जहां देश के हर युवा की चाहत होती है कि वह बड़ी से बड़ी कंपनी में काम करे। साथ ही अगर गूगल जैसी कंपनी में काम मिल जाये तो फिर क्या कहना। इस आधुनिक समाज में ऐसे भी लोगहैं जिन्हें आध्यात्म की चाह है, जिसके लिए उन्होंने गूगल की नौकरी तक छोड़ दी। यूपी के वाराणसी से एक ऐसा ही मामला सामने आया है जो बेहद चौकाने वाला है।
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काशी में चल रही परमधर्म संसद में एक ऐसी महिला भी आई हैं जो लाखों का सैलरी पैकेज छोड़कर साध्वी बन चुकी हैं। ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद धर्म संसद में सबसे कम उम्र की प्रतिनिधि हैं, जो गूगल की नौकरी छोड़कर यहां पहुंची हैं।
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डाइनामाइट न्यूज़ से बात करते हुए साध्वी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद ने कहा कि दिल्ली में उनके पिता का गिफ्ट आइटम का बिजनेस है। शुरू से ही इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया, फिर सीएस की पढ़ाई की। शिक्षा के बल पर ही गूगल जैसी कंपनी में नौकरी लगी। करीब एक साल तक नौकरी की। आगे ब्रह्मवादिनी ने बताया कि घर में शुरू से ही मां का रुझान आध्यात्म की तरफ था और उनके साथ मै भी कई गुरुओं के पास आती जाती थी लेकिन मेरे में भी स्वामी विवेकानंद की तरह ईश्वर को देखने की इच्छा थी।
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उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान वह माता-पिता के साथ मंदिरों और गुरुमाता के यहां आती जाती रहीं हैं। बचपन से ही उन्हें ऐसे गुरु की तलाश थी जो उन्हें ईश्वर का दर्शन करा सके। इस दौरान ही मां के साथ कई गुरु माता के यहां आईं। उनके द्वारा ईश्वर को लेकर बताए गए मार्ग से बहुत प्रभावित हुईं। आखिर में उन्हें साध्वी शितो शांभी के रूप में गुरु मां मिलीं। उन्होंने मुझे ईश्वर का दर्शन कराया। स्कंद कहती हैं कि गुरु मां के पास जाने के बाद मुझे जो आत्मिक शांति मिली, मन इतना प्रसन्न हुआ कि मैं उसकी कल्पना नहीं कर सकती थी, उसे बयान नहीं किया जा सकता।