Gorakhpur News: गोरखपुर में मरीजों की खरीद-फरोख्त का भंडाफोड़, इन सभी अस्पतालों के लाइसेंस रद्द; भेजा नोटिस

डीएन ब्यूरो

गोरखपुर में मरीजों की खरीद-फरोख्त का बहुत बड़ा भंडाफोड़ हुआ है। ऐसे में गोरखपुर में कई अस्पतालों को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर में मरीजों की खरीद-फरोख्त का भंडाफोड़
गोरखपुर में मरीजों की खरीद-फरोख्त का भंडाफोड़


गोरखपुर: गोरखपुर में मरीजों की खरीद-फरोख्त का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कुछ अस्पताल मरीजों को कमीशन के लिए खरीद रहे थे। इस खुलासे के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 4 अस्पतालों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं, और 4 अन्य को नोटिस जारी किया है।

क्या था मामला?

 डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 30 दिनों तक बिहार के बगहा से लेकर यूपी के गोरखपुर तक जांच की गई। इस दौरान, उन्होंने पाया कि कुछ अस्पताल एजेंटों को कमीशन देकर मरीजों को खरीद रहे थे। एजेंटों को सामान्य मरीजों के लिए कुल बिल पर 40% और गंभीर मरीजों के लिए 30,000 रुपये तक का कमीशन दिया जा रहा था। वेंटिलेटर पर मरीजों की सांस बढ़ाने के लिए भी कमीशन बढ़ाने की पेशकश की गई थी। जांच में छोटे-बड़े निजी और सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ जांच केंद्र भी शामिल है। 

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सरकार की कार्रवाई
डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 10 घंटे के भीतर, उत्तर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर के 4 अस्पतालों के लाइसेंस रद्द कर दिए। हेरिटेज हॉस्पिटल, न्यू शिवाय मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गोरक्ष हॉस्पिटल और  न्यू जीवन हॉस्पिटल इन सभी के लाइसेंस रद्द कर दिए गए है। इसके अलावा, 4 अन्य अस्पतालों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है।

 सीएमओ आशुतोष दुबे ने दी जानकारी 

 डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट में गोरखपुर सीएमओ आशुतोष दुबे ने बताया कि मरीजों की खरीद-फरोख्त में शामिल अस्पतालों के लाइसेंस अस्थायी रूप से रद्द कर दिए गए हैं। स्थायी रूप से लाइसेंस रद्द करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी अस्पतालों की जांच शुरू कर दी गई है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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स्टिंग ऑपरेशन में क्या था?

मीडिया टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया, जिसमें अस्पतालों के कर्मचारी मरीजों को खरीदने की बात करते हुए रिकॉर्ड किए गए। स्टिंग ऑपरेशन में, अस्पतालों के कर्मचारी एजेंटों को कमीशन देने की पेशकश कर रहे थे। वे गंभीर मरीजों के लिए अधिक कमीशन देने को भी तैयार थे। यह मामला स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में भ्रष्टाचार का एक गंभीर उदाहरण है। सरकार ने त्वरित कार्रवाई करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस तरह के कदाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी।










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