Govardhan puja: जानिए गोवर्धन पूजा पर भगवान कृष्ण को क्यों लगाते हैं Annakoot का भोग?

डीएन ब्यूरो

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अन्नकूट पूजा
अन्नकूट पूजा


नई दिल्ली: आज शनिवार 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) का त्योहार (Festival) धूमधाम से मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा (Annakoot) भी कहते हैं। यह पर्व हिंदू तिथि के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताएं है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने इंद्र का मानमर्दन कर गिरिराज की पूजा की थी। इस दिन से मंदिरों में अन्नकूट किया जाता है। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मथुरा और वृंदावन में गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 

जानकारी के अनुसार गोवर्धन पूजा के दिन ही मंदिरों में अन्नकूट उत्सव का भी आयोजन किया जाता है।  अन्नकूट शब्द का अर्थ होता है कि अन्न के मिश्रण जिसे भगवान श्री कृष्ण को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।  कई जगहों पर इस दिन बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है, तो कई जगह तेल की पूरी इत्यादि मनाए जाने की परंपरा है।  

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अन्नकूट चढ़ाने के पीछे की कथा
इस भोग के पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुल वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था।  इंद्र ने गोकुल वासियों से नाराज होकर मूसलाधार वर्षा करनी शुरू कर दी थी, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को छत्र के रूप में प्रयोग कर सबको सुरक्षित रखा।  

इस घटना के उपरांत, भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को यह शिक्षा दी कि प्रकृति और उसके अवयवों का आदर करना चाहिए।  गोवर्धन पर्वत और गोकुल वासियों की परस्पर सहायता के प्रतीक के रूप में अन्नकूट का भोग चढ़ाया जाता है।  अन्नकूट का भोग विभिन्न प्रकार के अनाज और सब्जियों से तैयार किया जाता है और इसे भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।  

प्रकृति की कृतज्ञता का त्योहार 
यह पर्व कृषि और अन्न की महत्ता को रेखांकित करता है, और यह याद दिलाता है कि मनुष्य को हमेशा प्रकृति के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। गोवर्धन पूजा का यह उत्सव न केवल हमारी धार्मिक आस्था को मजबूत करता है बल्कि यह प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की प्रेरणा भी देता है।  इसलिए, अन्नकूट का भोग गोवर्धन पूजा का एक अभिन्न अंग है जो भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। 

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