सरकार ने भारत-म्यांमा मुक्त आवागमन व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र ने देश की आंतरिक सुरक्षा और पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत-म्यांमा मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने का फैसला किया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र ने देश की आंतरिक सुरक्षा और पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत-म्यांमा मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने का फैसला किया है।
शाह ने कहा, चूंकि विदेश मंत्रालय फिलहाल इसे खत्म करने की प्रक्रिया में है, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने एफएमआर को तत्काल निलंबित करने की सिफारिश की है।
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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस कदम के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह कदम आंतरिक सुरक्षा के लिये अहम है।
एफएमआर भारत-म्यांमा सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक जाने की अनुमति देता है।
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शाह ने एक्स पर कहा, “हमारी सीमाओं को सुरक्षित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने फैसला किया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमा की सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत और म्यांमा के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म कर दिया जाएगा।”
यह घोषणा शाह के इस बयान के दो दिन बाद आई कि भारत ने पूरी 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया है।
मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरने वाली भारत-म्यांमा सीमा वर्तमान में एफएमआर है। इसे 2018 में भारत की ‘पूर्वोन्मुख नीति’ के हिस्से के रूप में लागू किया गया था।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारी सीमाओं को सुरक्षित करने की प्रतिबद्धता के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी का बहुत आभारी हूं। जैसा कि भारत के गृह मंत्री ने सिफारिश की है, भारत और म्यांमा के बीच एफएमआर को खत्म करने का निर्णय हमारी आंतरिक सुरक्षा और हमारे उत्तर पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है।’’
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सीमा पर बाड़ लगाना इंफाल घाटी स्थित मेइती समूहों की लगातार मांग रही है। वे आरोप लगाते रहे हैं कि आदिवासी आतंकवादी अक्सर खुली सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश करते हैं।
मेइती समूहों का यह भी आरोप है कि बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का फायदा उठाकर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है।
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एफएमआर को खत्म करने और सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले की इंफाल घाटी स्थित सामाजिक संगठनों ने सराहना की है। उनका कहना है कि इससे मादक पदार्थों की तस्करी और राज्य में अवैध हथियारों और अप्रवासियों की आवाजाही पर रोक लगेगी।
नगा और कुकी समूहों से जुड़े संगठनों ने हालांकि एफएमआर को खत्म करने के कदम का कड़ा विरोध किया है और दावा किया है कि इस कदम से जातीय संबंध टूट जाएंगे।
मंगलवार को गृह मंत्री शाह ने कहा था कि पूरी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के अलावा, बेहतर निगरानी की सुविधा के लिए सीमा पर एक गश्त मार्ग भी बनाया जाएगा।
इसके अलावा, हाइब्रिड निगरानी प्रणाली के माध्यम से बाड़ लगाने की दो प्रायोगिक परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।
उन्होंने कहा था, ‘‘वे अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में एक-एक किलोमीटर तक बाड़ लगाएंगे। इसके अतिरिक्त, मणिपुर में लगभग 20 किलोमीटर तक बाड़ लगाने के काम को भी मंजूरी दे दी गई है और काम जल्द ही शुरू हो जाएगा।’’