सचिन तेंदुलकर को लेकर हरभजन ने किया बड़ा खुलासा, विश्वकप के दौरान सचिन की बल्लेबाजी पर जानिये क्या कहा
हरभजन ने कहा,‘तेंदुलकर की प्रतिभा को समझने के लिए एक छोटी सी कहानी ही पर्याप्त होगी। दक्षिण अफ्रीका में 2003 में खेले गए विश्वकप के दौरान पाजी ने एक भी दिन नेट्स पर बल्लेबाजी नहीं की थी।’ पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: कोई भी क्रिकेटर संपूर्ण नहीं होता लेकिन अगर कोई पूर्णता के करीब है तो फिर हरभजन सिंह के दिमाग में एक ही नाम आता है और वह है सचिन तेंदुलकर का।
हरभजन ने तेंदुलकर के 50वें जन्मदिन से पूर्व पाजी ( तेंदुलकर को उनके जूनियर साथी इसी नाम से पुकारते हैं) संभवत: वह क्रिकेटर हैं जो संपूर्ण होने के काफी करीब है। निश्चित रूप से एक व्यक्ति के रूप में वह आदर्श व्यक्ति हैं तथा हमारे देश में उनके असंख्य समर्थकों और भगवान जैसा दर्जा मिलने के बावजूद जिंदगी को सम्मान और विनम्रता के साथ कैसे जीना चाहिए इसका वह शानदार उदाहरण हैं।’’
हरभजन से जब तेंदुलकर से जुड़ी यादों को साझा करने के लिए कहा गया तो वह हंस पड़े।
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उन्होंने कहा,‘‘ ढेर सारी यादें हैं। उन्होंने मेरे जीवन में मार्गदर्शक का काम किया है। उनसे जुड़ी कई व्यक्तिगत और भावनात्मक यादें हैं जिन्हें मैं अपनी कहानी के लिए सुरक्षित रखूंगा लेकिन फिर भी मैं कुछ आपके साथ साझा कर सकता हूं।’’
हरभजन ने कहा,‘‘ तेंदुलकर की प्रतिभा को समझने के लिए एक छोटी सी कहानी ही पर्याप्त होगी। दक्षिण अफ्रीका में 2003 में खेले गए विश्वकप के दौरान पाजी ने एक भी दिन नेट्स पर बल्लेबाजी नहीं की थी।’’
उन्होंने कहा,‘‘ भारतीय गेंदबाजी आक्रमण अच्छा प्रदर्शन कर रहा था लेकिन जवागल श्रीनाथ, आशीष नेहरा, जहीर खान, अनिल कुंबले या मैंने टूर्नामेंट के दौरान नेट्स पर उन्हें एक भी गेंद नहीं की।’’
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक तेंदुलकर ने उस टूर्नामेंट में 600 से अधिक रन बनाए जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरियन में खेली गई 98 रन की ऐतिहासिक पारी भी शामिल है जिसमें उन्होंने शोएब अख्तर की गेंद पर थर्ड मैन के ऊपर से छक्का लगाया था।
तो फिर तेंदुलकर विश्वकप के दौरान मैचों के लिए कैसे तैयारी करते थे, इस पर हरभजन ने कहा,‘‘ उस समय आज की तरह थ्रो डाउन की मशीन नहीं हुआ करती थी लेकिन हमारे साथ एक व्यक्ति श्यामल थे जो पाजी को 18 गज और कभी-कभी 16 गज से थ्रो डाउन करते थे। वह घंटों तक इस तरह से अभ्यास करते थे।’’