रेलवे के इस मेगा प्लान से ट्रेनें नहीं होंगी लेट, जल्द सामने आयेगा बड़ा बदलाव
भारतीय रेलवे एक ऐसी महत्वपूर्ण योजना पर कार्य कर रहा है जिसमें सभी ट्रेनों के कोचों की संख्या 22 कर दी जाएगी। इससे यात्रियों को उन ट्रेनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा जो लेट हो चुकी है। क्योंकि यही 22 कोचों वाली ट्रेन मुसाफिरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य करेगी।
नई दिल्ली: पूरा उत्तर भारत इन दिनों कोहरे और कड़ाके की सर्दी से जूझ रहा है। ऐसे में ट्रेनों का रद्द हो जाना या लेट हो जाना कोई नई बात नहीं है। लेकिन अब अगर आगे सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले दिनों में ट्रेनें न तो लेट हो पाएंगी और न ही इस वजह से किसी भी यात्री को समस्याओं से दो-चार होना पड़ेगा।
दरअसल सरकार रेलवे के साथ मिलकर एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है, जो रेलवे के साथ-साथ आम आदमियों को भी राहत देने वाला होगा। सरकार अब रेलवे को वित्तिय नुकसान से छुटकारा दिलाने व ट्रेन को लेट हो जाने से बचाने के लिए सभी कोचों की संख्या बढ़ाकर 22 करने जा रही है।
प्लेटफॉर्मों की लंबाई बढ़ाने पर भी विचार
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रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संवाददातोओं से कहा है कि ट्रेनों को किसी भी रूट पर भेजने के लिए सभी ट्रेनों में 22 कोचों की व्यवस्था करने पर विचार चल रहा है। इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण स्टेशनों के प्लेटफॉर्मों की लंबाई बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।
गोयल ने कहा कि रेलवे का इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट इस राहत वाली कवायद पर लगातार कार्य कर रहा है। इसके लिए रेलवे ने पहले फेज में 300 ट्रेनों और उनके रूट्स की पहचान कर ली है। जिसका असर साल 2018 में जुलाई में पब्लिश होने वाले रेलवे के नए टाइम-टेबल में भी देखा जा सकेगा। ये सभी रुट मेनलाइन या अत्यन्त बिजी रहने वाले रूट्स हैं। इस बारे में रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि अगर सभी ट्रेनों में कोच की संख्या बराबर होगी तो हम किसी भी ट्रेन को, जो तैयार हो, स्टेशन पर आ चुकी हो और मेंटेनेंस का काम हो चुका हो, उसे ऑपरेशन पर भेज सकते हैं।
ट्रेनों में आईसीएफ और एलएचबी दो तरह के कोच
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इस कवायद से यात्रियों को ऑरिजनल ट्रेन के आने और ऑपरेशन के लिए तैयार होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस स्थिति में ट्रेन लेट होने पर किसी और ट्रेन को भेजा जा सकेगा जो कि लोगों को राहत पहुंचाने वाला होगा। बताते चलें कि भारत की ट्रेनों में आईसीएफ और एलएचबी दो तरह के कोच होते हैं।
आमतौर पर भारतीय ट्रेनों में 12, 16, 18, 22 और 26 कोच होते हैं। लेकिन सभी ट्रेनों की डेंलिटी उतनी ही हो यह जरूरी नहीं होता है। यहां किसी भी ट्रेन के लेट हो जाने या रद्द हो जाने की स्थिति में उस नाम की अन्य कोई ट्रेन नहीं चलाई जाती है। लेकिन अगर यह योजना वास्तव में शुरू हुई तो इससे न केवल यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी बल्कि रेलवे को भी हर साल होने वाले करोड़ों के नुकसान से बचाया जा सकेगा।