जानिए आखिर क्यों दार्जीलिंग में GJM, हाम्रो पार्टी ने 12 घंटे बाद वापस लिया आह्वान

डीएन ब्यूरो

गोरखालैंड समर्थक दलों ने पश्चिम बंगाल में 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं का हवाला देते हुए 23 फरवरी को प्रस्तावित 12 घंटे के बंद का आह्वान बुधवार को वापस ले लिया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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दार्जीलिंग/कोलकाता: गोरखालैंड समर्थक दलों ने पश्चिम बंगाल में 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं का हवाला देते हुए 23 फरवरी को प्रस्तावित 12 घंटे के बंद का आह्वान बुधवार को वापस ले लिया।

दलों ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा कि वे पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं के लिए लड़ना जारी रखेंगे।

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) और हाम्रो पार्टी ने मंगलवार को आह्वान किया था कि 23 फरवरी को दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में 12 घंटे की हड़ताल की जाएगी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि वह पर्वतीय क्षेत्र में 'जबरन बंद' कराए जाने की अनुमति नहीं देंगी। उन्होंने प्रशासन को स्थिति को संभालने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था।

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बंद का आह्वान करने वाले दलों ने कहा, '23 फरवरी से माध्यमिक परीक्षा होने के कारण हमने फैसला किया है। हम फिलहाल बंद की अपनी अपील वापस लेते हैं।'

हाम्रो पार्टी के प्रमुख अजॉय एडवर्ड्स ने कहा, ‘‘हमें विभिन्न वर्गों से प्रतिक्रिया मिल रही थी जिन्होंने कहा कि वे गोरखालैंड की मांग का समर्थन करते हैं लेकिन बंद नहीं चाहते क्योंकि इससे छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।’’

हालांकि एडवर्ड्स ने दावा किया कि बंद का आह्वान वापस ले लिया गया, वहीं बिनय तमांग ने इसे 'फिलहाल के लिए स्थगित' करार दिया।

बारह घंटे के बंद का आह्वान हाम्रो पार्टी के अजॉय एडवर्ड्स, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग और बिनय तमांग ने किया था। तीनों ने हाल ही में गोरखालैंड की मांग को पुन: उठाने के लिए हाथ मिलाया था।

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पिछले साल तृणमूल कांग्रेस छोड़ने वाले तमांग ने कहा, ‘‘हमने प्रस्तावित बंद को स्थगित कर दिया क्योंकि कई छोटे संगठन हमारे आंदोलन में शामिल होना चाहते हैं। हम जल्द ही पर्वतीय क्षेत्र में एक बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।’’

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, तृणमूल कांग्रेस के नेता एवं राज्य सरकार में मंत्री उदयन गुहा ने कहा कि 'विभाजनकारी ताकतें' पीछे हट गई हैं क्योंकि उन्हें पर्वतीय क्षेत्र में लोगों से समर्थन नहीं मिला।

गुहा ने कहा, 'तृणमूल कभी भी पर्वतीय क्षेत्र के बंटवारे की इजाजत नहीं देगी।'










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