Leopard Death: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक और चीते की मौत, ये संक्रमण बना मौत का कारण
मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में एक और चीते की मौत हो गई है। मार्च के बाद से चीतों की मौत का यह नौवां मामला है। राज्य वन विभाग ने बुधवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
भोपाल: मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में एक और चीते की मौत हो गई है। मार्च के बाद से चीतों की मौत का यह नौवां मामला है। राज्य वन विभाग ने बुधवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, बयान में कहा गया है कि आज सुबह मादा चीतों में से एक धात्री (तिब्लिसी) मृत पाई गई। मौत के कारण का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
बयान में कहा गया है, ‘‘14 चीते जिनमें से सात नर, छह मादा और एक मादा शावक को कूनो में बाड़े में रखा गया है। कूनो वन्यजीव पशु चिकित्सकों और एक नामीबियाई विशेषज्ञ की एक टीम नियमित रूप से उनके स्वास्थ्य की निगरानी करती है।’’
बयान के अनुसार एक मादा चीता बाड़े के बाहर है और टीम की गहन निगरानी में है। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए उसे वापस बाड़े में लाने के प्रयास जारी हैं।
पिछले महीने दो चीतों की गर्दन पर रेडियो कॉलर के कारण लगे घावों में संक्रमण के कारण मौत हो गई थी। पर्यावरण मंत्रालय ने हालांकि कहा था कि सभी चीतों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है।
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चीता पुनरुत्पादन परियोजना में शामिल विशेषज्ञों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि भारी बारिश, अत्यधिक गर्मी और नमी के कारण समस्याएं हो सकती हैं, और ‘‘चीतों की गर्दन के चारों ओर लगे कॉलर संभावित रूप से और समस्याएं पैदा कर रहे हैं।’’
इन चीतों की मौत के बाद, दो मादाओं को छोड़कर सभी चीतों को जांच के लिए उनके बाड़ों में वापस लाया गया। दक्षिण अफ्रीका के एक विशेषज्ञ पशुचिकित्सक ने घावों को साफ किया। सभी चीतों को फ्लुरेलानेर दिया गया है। फ्लुरेलारेन एक कीटनाशक और एसारिसाइड है।
बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट चीता के तहत, कुल 20 चीतों को दो दलों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में लाया गया था। पहला दल पिछले साल सितंबर में और दूसरा दल इस वर्ष फरवरी में आया।
मार्च के बाद से इनमें से छह वयस्क चीतों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। मई में, मादा नामीबियाई चीता से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की भी अत्यधिक गर्मी के कारण मौत हो गई थी।
चीता परियोजना के तहत आठ नामीबियाई चीतों - पांच मादा और तीन नर - को पिछले साल 17 सितंबर को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था। फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी लाये गये थे।
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बाद में मार्च में नामीबियाई चीता ‘ज्वाला’ के चार शावक पैदा हुए, लेकिन उनमें से तीन की मई में मौत हो गई थी।
ग्यारह जुलाई को एक नर चीता ‘तेजस’ मृत पाया गया था जबकि 14 जुलाई को एक और नर चीता ‘सूरज’ मृत पाया गया था।
इससे पहले, नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को किडनी से संबंधित बीमारी के कारण मौत हो गई थी, जबकि दक्षिण अफ्रीका के एक अन्य चीते ‘उदय’ की 13 अप्रैल को मौत हो गई थी। दक्षिण अफ्रीका से लाये गये चीते ‘दक्ष’ की नौ मई को मौत हो गई थी।
देश में इस जंगली प्रजाति के विलुप्त होने के 70 साल बाद भारत में चीतों को फिर से लाया गया।
उच्चतम न्यायालय ने 20 जुलाई को कहा था कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक साल से भी कम समय में आठ चीतों की मौत हो जाना एक ‘‘सही तस्वीर’’ पेश नहीं करता। इसने केंद्र से इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने और इन वन्यजीवों को अन्य अभयारण्यों में भेजने की संभावना तलाशने को कहा था।