भाजपा ने शुरू की लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी, यूपी की 80 सीटों के लिए बन रही ये रणनीति
वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीट जीतने के अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कवायद शुरू कर दी है पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
लखनऊ: वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीट जीतने के अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कवायद शुरू कर दी है और इसके तहत इसने खासतौर पर, यादव, जाटव और पसमांदा मुसलमानों को साधने का उपक्रम शुरू कर दिया है, जो दूसरे दलों के परंपरागत मतदाता माने जाते रहे हैं।
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राज्य के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने 31 जुलाई को ट्वीट किया था, ‘‘यदुवंशियों (यादव) रविदासवंशियों (जाटव) के साथ-साथ पसमांदा मुसलमानों को भी भाजपा के साथ लाएंगे। (वर्ष) 2024 में उप्र के हर बूथ पर कमल ही कमल खिलाएंगे।' मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद दावा किया था कि 2024 में उत्तर प्रदेश की 80 में 80 लोकसभा सीट जीतेंगे। इसके पहले भाजपा ने 80 में 75 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। अब विशेष रूप से भाजपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीट जीतने के लिए यादव, जाटव (अनुसूचित जाति) और पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों को भी साधने में जुट गई है।
मौर्य के ट्वीट से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि 2024 के चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुस्लिम और यादव 'एमवाई' समीकरण तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के परंपरागत जाटव मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा पूरी ताकत से जुट गई है।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा, 'हम जातिगत राजनीति करते हैं। हमारी विचारधारा समाजवाद और सामाजिक न्याय पर आधारित है।' चौधरी ने कहा, 'संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद वह (केशव मौर्य) क्या बोल रहे हैं, इसकी सच्चाई लोग जानते हैं।'
सपा प्रवक्ता ने दावा किया, 'समाजवादी विचारधारा में जातिवाद के लिए कोई स्थान नहीं है।' मौर्य के ट्वीट के अब राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं।
इस बीच भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तिरंगा यात्रा सप्ताह (11 अगस्त से 17 अगस्त) तथा आगे के जनसंपर्क अभियानों में भाजपा ने यादवों, जाटवों और मुसलमानों के बीच भी व्यापक जनसंपर्क की योजना बनाई है।
उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा क्षेत्रों में एक लाख 70 हजार से ज्यादा बूथ हैं और भाजपा ने अपने संगठनात्मक सर्वे में इनमें से 22 हजार बूथ को कमजोर माना हैं। सूत्रों के मुताबिक ये बूथ खासतौर से यादव, जाटव और मुस्लिम बहुल हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने एक बैठक में इन बूथ को साधने के लिए सांसदों और विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी थी और जनप्रतिनिधियों ने इस पर अमल किया था।
पिछले महीने राज्य के उन 14 लोकसभा क्षेत्रों में भी केंद्रीय मंत्रियों के दौरे हुए जहां भाजपा 2019 में चुनाव नहीं जीत सकी थी। राज्य की 80 सीट में से 64 सीट पर फिलहाल भाजपा और दो सीट पर उसके सहयोगी अपना दल (एस) का कब्जा है, जबकि 10 सीट बसपा, तीन सीट सपा और एक पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व है।
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यादव और दलित बहुल आजमगढ़ और मुस्लिम बहुल रामपुर में हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा ने बाजी मारी थी।
गौरतलब है कि आजमगढ़ उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार लोक गायक व भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को हराकर सपा के कब्जे वाली सीट छीन ली।
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की चुनावी लहर के बावजूद मुलायम सिंह यादव और 2019 में सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव जीते थे। अखिलेश के विधायक बनने के बाद लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के उपरांत आजमगढ़ में उपचुनाव कराया गया था।
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक राज्य की आबादी में यादवों की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत, दलितों की 21 फीसदी और मुसलमानों की 18 फीसदी है।
राज्य में 17 लोकसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। राज्य की दस-दस सीटों पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका मानी जाती है।
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के सभापति और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता संतराज यादव ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में दावा किया, ‘‘बहुतायत यादव समाजवादी पार्टी के साथ रहना नहीं चाहता है, कांग्रेस में उसे कोई अवसर नहीं दिखाई देता और बसपा में यह समुदाय जा नहीं पाएगा, ऐसे में कुल मिलाकर भाजपा ही एक विकल्प बचती है और भाजपा पलक-पांवड़े बिछाकर उनका इंतजार कर रही है। जहां अवसर मिल रहा है, वहां (भाजपा) महत्वूपर्ण पदों पर यादवों को मौका भी दे रही है।' संतराज यादव ने हाल में हुए चुनावों में यादवों को मिले महत्व की ओर इशारा किया, जिसमें भाजपा ने गोरखपुर की संगीता यादव को राज्यसभा, संतकबीरनगर के सुभाष यादव को विधान परिषद और दिनेश लाल यादव को आजमगढ़ से लोकसभा में जाने का मौका दिया। संतराज यादव सहकारिता के प्रतिष्ठापक चुनाव में मुलायम परिवार का वर्चस्व तोड़कर सभापति बने थे। इसके पहले शिवपाल सिंह यादव लंबे समय तक उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के सभापति रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जुलाई को समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य और 'अखिल भारतीय यादव महासभा' के अध्यक्ष हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर कानपुर में आयोजित गोष्ठी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया। हरमोहन सिंह यादव के पुत्र सुखराम सिंह यादव समाजवादी पार्टी से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति और राज्यसभा सदस्य रहे हैं। सुखराम के पुत्र मोहित यादव ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 25 जुलाई को शपथ ग्रहण के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने अति व्यस्तता के बावजूद हरमोहन यादव की पुण्यतिथि पर मोहित यादव द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित किया था।
इससे पहले मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के पाले में साफ नजर आए। शिवपाल का अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से तनावपूर्ण संबंध जगजाहिर हैं। मुलायम की पुत्रवधू अपर्णा यादव विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। प्रदेश सरकार में इस बार जौनपुर के विधायक गिरीश यादव को स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री बनाया गया है।
भाजपा यादवों के साथ ही जाटवों को भी महत्व देने लगी है। इसके पहले भी पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में गैर-जाटव अनुसूचित जातियों मसलन कोरी, धोबी, पासी, खटीक, धानुक आदि समाज के लोगों को विशेष वरीयता दी थी। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा दिलाकर भाजपा ने उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में शामिल किया। आगरा के जाटव समाज से आने वाली बेबी रानी को विधानसभा चुनाव में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया और चुनाव जीतने के बाद उन्हें योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया। वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।
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आगरा जाटवों की आबादी का सबसे बड़ा क्षेत्र हैं और बसपा अध्यक्ष मायावती अपनी चुनावी रैलियों की शुरुआत आगरा से ही करती हैं।
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के एक नेता ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘हम सबका हित भाजपा में ही सुरक्षित है और कोरोना जैसी महामारी के बीच दोगुना राशन और जन औषधि जैसी योजनाओं ने हर गरीब दलित को जीने का सहारा दिया और मोदी-योगी के शासन में कोई भूखों नहीं सोया।' उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ भाजपा ही कर सकती है, इसलिए भाजपा की डबल इंजन सरकार का तब तक बने रहना जरूरी है जब तक समाज में अमीर-गरीब की खाई पट नहीं जाती।'
उन्होंने कहा कि भाजपा जाटव बहुल बूथों पर तिरंगा यात्रा के दौरान विशेष संपर्क अभियान भी चलाएगी।
जहां तक पसमांदा मुसलमानों का सवाल है तो भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की दूसरी सरकार में बलिया के अति पिछड़े मुस्लिम परिवार से आने वाले दानिश आजाद अंसारी को मंत्रिमंडल में शामिल किया और उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का राज्यमंत्री बनाया गया।
अंसारी को जब मंत्री पद दिया गया तब वह विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य भी नहीं थे, जिन्हें बाद में भाजपा ने विधान परिषद में भेजा।
भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हर बूथ पर सौ लाभार्थी भाजपा की सरकार ने तय किये हैं, जिन्हें हर योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसका लाभ गरीब मुसलमानों को भी मिल रहा है।'
उन्होंने कहा कि भाजपा संगठन इन लाभार्थियों के साथ लगातार बैठकें कर रहा है। अली ने दावा किया कि मुस्लिम बहुल इलाकों में साठ फीसदी लाभार्थी मुसलमान हैं, जिन्हें नि:शुल्क शौचालय, आवास, खाद्यान्न समेत सभी लाभार्थी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे उनके पूरे परिवार को लाभ मिल रहा है और हम उन्हें लगातार बता रहे हैं कि यह मोदी जी और योगी जी की बदौलत संभव हो सका है।’’
अली ने बताया कि संगठनात्मक स्तर पर लाभार्थी सम्मेलन की भी योजना है। (भाषा)