मुंबई: जेजे अस्पताल का नेत्र विभाग विवाद का केंद्र बना, रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर गए

डीएन ब्यूरो

मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के तहत आने वाले जे जे अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं और उनका आरोप है कि अस्पताल के पूर्व डीन और वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. तात्याराव लहाणे और नेत्र विज्ञान विभाग की मौजूदा प्रमुख विभाग का संचालन ‘तानाशाहीपूर्ण’ तरीके से कर रही हैं।

जेजे अस्पताल (फाइल)
जेजे अस्पताल (फाइल)


मुंबई: मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के तहत आने वाले जे जे अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं और उनका आरोप है कि अस्पताल के पूर्व डीन और वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. तात्याराव लहाणे और नेत्र विज्ञान विभाग की मौजूदा प्रमुख विभाग का संचालन ‘तानाशाहीपूर्ण’ तरीके से कर रही हैं।

महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) द्वारा आहूत हड़ताल बुधवार (31 मई) से शुरू हुई है और प्रदर्शनकारी डॉक्टर पिछले दो बैच को मानदेय ना देने और बकाया का भुगतान नहीं करने जैसे मुद्दे के समाधान की भी मांग कर रहे हैं।

हड़ताल सबसे ज्यादा मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने वाले पद्म श्री से सम्मानित लहाणे और विभाग की मौजूदा प्रमुख डॉ रागिनी पारेख को लेकर है। लहाणे पहले जे जे अस्पताल के डीन थे और राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के निदेशक भी रहे हैं।

एमएआरडी की जेजे अस्पताल की इकाई के अध्यक्ष डॉ. शुभम सोनी ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि लहाणे और पारेख नेत्र विज्ञान विभाग को ‘तानाशाहीपूर्ण’ तरीके से चला रहे हैं और यह स्पष्ट रूप से कई स्तरों पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है।

यह भी पढ़ें | महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर, कामकाज बाधित, जानिये पूरा मामला

उन्होंने कहा, “ दोनों सर्जन विभाग में किए जाने वाले लगभग सभी ऑपरेशन करते हैं जिनमें ज्यादातर मोतियाबिंद की सर्जरी होती हैं। जेजे अस्पताल के शिक्षण संस्थान होने के बावजूद यहां के रेजिडेंट चिकित्सकों की शिक्षा पर मुश्किल से ही ध्यान दिया जाता है।”

दूसरी ओर लहाणे ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया और दावा किया कि उन्होंने अस्पताल छोड़ दिया है।

लहाणे ने कहा कि उन्होंने तथा पारेख सहित नौ चिकित्सकों ने अस्पताल प्रशासन के 'उत्पीड़न' के कारण 'इस्तीफा' दे दिया है।

लेकिन सोनी ने दावा किया कि अस्पताल के अधिकारियों को उनका त्याग पत्र नहीं मिला है। सोनी ने कहा, 'मांगें पूरी होने तक हड़ताल खत्म नहीं होगी।'

यह भी पढ़ें | आईआईटी छात्र की मौत के मामले में पीड़ित पिता ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जानिये क्या कहा

महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने कहा कि राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और इस मुद्दे को हल करना चाहिए।

 










संबंधित समाचार