अलौकिक प्रेम का दर्शन देने वाले 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की आज है जयंती
भारत में जैन समाज द्वारा भगवान महावीर का जन्मोत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। उन्होंने जीवन को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाला मार्ग दिखाया था। उनके जन्मदिवस को कल्याणक के नाम से भी मनाया जाता है।
नई दिल्ली: भारत में जैन समाज द्वारा भगवान महावीर का जन्मोत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। उन्होंने जीवन को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाला मार्ग दिखाया था। उनके जन्मदिवस को कल्याणक के नाम से भी मनाया जाता है।
किसी भी हिंसा का किया विरोध
जियो और जीने दो का सिद्धांत देने वाले भगवान महावीर स्वामी ने मानव समाज को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। उनके समय में हिंसा, पशुबलि, जात पात का भेदभाव अपने चरम पर था। जिसके बीच उन्होंने मानव जाति को एक नई अलौकिक प्रेम का मार्ग दिखाया। जिसे रहस्यवाद के नाम से जाना जा है। यह भी माना जाता है कि रहस्यवाद का मौलिक दर्शन उन्होंने ही दिया था। इसके अलावा अपरिग्रह और अनेकांतवाद के दर्शन के बारे में समाज को अवगत कराया और जीवन में आचरण की क्या महत्ता होती है उसका महत्व बताया।
समाज को दिए पंचशील सिद्धांत
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जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। साथ ही अहिंसा को सर्वोपरि बताते हुए जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत दिए। इनमें अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्म्चर्य शामिल हैं। भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। दुनिया की सभी आत्मा एक-सी हैं इसलिए हम दूसरों के प्रति वही विचार एवं व्यवहार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हो।
भगवान महावीर अपने सिद्धांत में समर्पण को भाव सबसे अहम मानते थे। वह मानते थे कि किसी से मांग कर, प्रार्थना करके या हाथ जोड़कर धर्म हासिल नहीं किया जा सकता।
वर्धमान से भगवान महावीर तक
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ। उनके बचपन का नाम वर्धमान था। कुंडग्राम (बिहार) में जन्मे भगवान महावीर का साधना काल 12 वर्ष का था। जैन ग्रंथ उत्तरपुराण में वर्धमान, वीर, अतिवीर, महावीर और सन्मति नामों का उल्लेख मिलता है। महावीर ने कलिंग के राजा की बेटी यशोदा से शादी भी की लेकिन 30 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था।
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पूरे जीवन दिगंबर अवस्था में रहे भगवान महावीर
भगवान महावीर ने दीक्षा लेने के बाद दिगम्बर साधुओं की तरह रहना स्वीकार किया था। महावीर दीक्षा उपरान्त कुछ समय छोड़कर निर्वस्त्र रहे और उन्होंने केवल ज्ञान की प्राप्ति भी दिगम्बर अवस्था में ही की। जबकि श्वेतांबर सम्प्रदाय जिसमें साधु श्वेत वस्त्र धारण करते हैं।
Greetings on the auspicious occasion of Mahavir Jayanti. Bhagwan Mahavir is a shining beacon of a tradition whose exemplary teachings have furthered the spirit of peace, harmony, brotherhood and non-violence. May his blessings enhance happiness and well-being among our citizens.
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) April 17, 2019
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महावीर जयंती के अवसर पर लोगों को बधाई दी। उन्होंने अपने संदेश में लिखा, भगवान महावीर एक परंपरा के चमकदार बिम्ब हैं। भगवान महावीर के उपदेश ने शांति, सद्भाव, भाईचारे और अहिंसा की भावना को आगे बढ़ाया है। उनके आशीर्वाद से लोगों के बीच खुशी और समृद्धि बढ़े यही कामना है।