संसद की उच्च परंपराओं को कायम रखें सदस्य: ओम बिरला

डीएन ब्यूरो

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की उच्च परम्पराओं को कायम रखने के लिए अपना अंत:करण शुद्ध रखने और आचरण में शुचिता रखने की शुक्रवार को सदस्यों से अपील की। डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार

परंपराओं को कायम रखें सदस्य
परंपराओं को कायम रखें सदस्य


नयी दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की उच्च परम्पराओं को कायम रखने के लिए अपना अंत:करण शुद्ध रखने और आचरण में शुचिता रखने की शुक्रवार को सदस्यों से अपील की।

बिरला ने ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के आरोपों का सामना कर रहीं तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ आचार समिति के प्रतिवेदन पर सदन में चर्चा से पहले कहा, ‘‘आज जिस विषय पर विचार किया जा रहा है वह हम सबके लिए पीड़ादायक है, लेकिन कई बार ऐसा समय आता है, जब इस सभा को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को लेकर उचित निर्णय लेने होते हैं।’’

उन्होंने कहा कि 75 वर्ष के भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सदन की उच्च परम्परा स्थापित हुई है और इसी की बदौलत भारतीय लोकतंत्र की विश्व में पहचान भी है।

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अध्यक्ष ने कहा, ‘‘...ऐसे समय भी आए हैं कि हमने सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा तथा उच्च मानदंडों को बनाये रखने के लिए उचित निर्णय भी किये हैं। इस सदन की मर्यादा और लोकतांत्रिक मूल्य ऐसे मूल सिद्धांत हैं, जिसमें किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जा सकता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम शुद्ध अंत:करण और ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा से इन सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करें। हम अपने आचरण में शुद्धता रखें, शुचिता रखें। हमारे व्यवहार से किसी को कोई कष्ट न हो। हमारे व्यवहार से हमारे कार्य पर कोई संदेह न हो। हमारा आचरण ऐसा न हो जिससे हमारे लोकतंत्र की उच्च मर्यादा और प्रतिष्ठा को कोई ठेस पहुंचे।’’

बिरला ने कहा कि इस सदन की उच्च विशिष्टता बनाये रखना और संवर्द्धित करना इस सदन के सदस्य के रूप में सभी का सामूहिक और सर्वोच्च दायित्व है।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा कि जनता ने सदस्यों को इसलिए चुनकर भेजा है, कि वे उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सकें।

अध्यक्ष ने कहा कि सदन की गरिमा और मर्यादा को कायम रखने के लिए यदि कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत पड़ी तो लेने होंगे।










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