मिर्जापुर के वैज्ञानिक डॉ मयंक सिंह ने विश्व में नाम किया रोशन,लोगों जवां बनाए रखने के लिए तैयार की क्रीम

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के वैज्ञानिक डॉ मयंक सिंह ने लोगों जवां बनाए रखने के लिए तैयार की क्रीम बनी चर्चा का विषय। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मिर्जापुर के  वैज्ञानिक विश्व में नाम किया रोशन
मिर्जापुर के वैज्ञानिक विश्व में नाम किया रोशन


मिर्जापुर: भारतीय वैज्ञानिकों ने विश्व में भारत का नाम रोशन कर दिया है। वैज्ञानिकों के द्वारा लोगों जवां बनाए रखने के लिए एंटी-एजिंग फार्मूला से बनी क्रीम को तैयार क्रीम को अमेरिका में सोमवार को लांच किया गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मिर्जापुर जनपद के चुनार तहसील के बगही गांव के रहने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका के “नेशनल डेंड्रिमर एंड नैनोटेक्नोलॉजी सेंटर” में अनुसंधान और विकास के वरिष्ठ औषधि वैज्ञानिक एवं “विश्व स्वास्थ्य संगठन” (जिनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड) के विशेषज्ञ एवं सार्वजनिक सलाहकार वैज्ञानिक डॉ. मयंक सिंह ने अमेरिका में भारतीय मूल के “विस्कॉन्सिन मेडिकल कॉलेज” के प्रो. डॉ० अभय सिंह चौहान के साथ मिलकर डेंड्रीमर नैनोटेक्नोलॉजी आधारित अमृत नामक एंटी-एजिंग फार्मूला का अनुकूलन और मूल्यांकन किया। 


इस क्रीम को लगाने से चेहरे,गर्दन और हाथों के झुर्रियों में कमी आएगी।

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इस कीम्र को रासायनिक तत्वों की बजाय प्राकृतिक वस्तुओं में मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से तैयार किया गया है। क्रीम को अमेरिका ने मान्यता दे दी है।

अमेरिका के विश्व स्तरीय सौंदर्य और प्रसाधन संस्थानों ने इस तकनीक को अंतरराष्ट्रीय बाजार में संयुक्त रूप से लाने के लिए आये आगे।

ये तकनीक उम्र बढ़ने और बुढ़ापे से संबंधित झुर्रियों वाली त्वचा में एक बड़ी मददगार साबित होगी। 

यह विश्व का यह पहला डेंड्रीमर नैनोटेक्नोलॉजी आधारित कॉस्मेटिक (सौंदर्य) प्रोडक्ट है, जिसे आम आदमी आसानी से खरीद सकता हैं।

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डॉ. अभय चौहान एवं डॉ. मयंक सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डेंड्रिमर प्रौद्योगिकी के जनक वैज्ञानिक डॉ. डोनाल्ड टोमालिया के 85वें जन्म दिवस के अवसर यह सौगात दी है।

डॉ.मयंक का कहना है कि यह सौंदर्य क्रीम पूरी तरह से प्राकृतिक और वाटर बेस्ड है. इसमें रासायनिक तत्वों की बजाय फलों, सब्जियों एवं अन्य प्राकृतिक वस्तुओं में मिलने  वाले  रेस्वेराट्रोल नामक एंटी आक्सीडेंट का इस्तेमाल किया गया है।

रेस्वेराट्रोल रेड वाइन, लाल अंगूर की स्किन, बैंगनी अंगूर के जूस, शहतूत और मूंग फलियों में कम मात्रा में पाया जाता है। रेसवेरट्रोल का इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है।










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