एनसीएलटी ने ज़ी-सोनी विलय पर लगाई मुहर, जानिये पूरे समझौते के बारे में
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र की कंपनी ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (पूर्व में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) के विलय की बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र की कंपनी ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (पूर्व में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) के विलय की बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने दोनों कंपनियों के विलय की मंजूरी देकर 10 अरब डॉलर की दिग्गज मीडिया कंपनी के अस्तित्व में आने का रास्ता खोल दिया है। यह अपने क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी होगी।
एच वी सुब्बा राव और मधु सिन्हा की पीठ ने इस विलय को लेकर दायर सभी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया।
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एनसीएलटी ने 11 जुलाई को कई कर्जदाताओं की आपत्तियां सुनने के बाद विलय पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायाधिकरण ने एक्सिस फाइनेंस, जेसी फ्लावर एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, आईडीबीआई बैंक, आईमैक्स कॉर्प और आईडीबीआई ट्रस्टीशिप जैसे कर्जदाताओं की दलीलें सुनी थीं।
दिसंबर 2021 में, ज़ी एंटरटेनमेंट और सोनी पिक्चर्स अपने कारोबार का विलय करने पर सहमत हुई थीं। दोनों मीडिया समूहों ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), बीएसई और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसे नियामकों से अनुमति प्राप्त करने के बाद विलय को मंजूरी देने के लिए न्यायाधिकरण से संपर्क किया था।
हालांकि, जी एंटरटेनमेंट के कुछ कर्जदाताओं की तरफ से आपत्तियां जताए जाने पर यह प्रक्रिया रुक गई थी। एस्सेल समूह के कई लेनदारों ने विलय योजना में जोड़े गए गैर-प्रतिस्पर्धा खंड को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी।
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एनएसई और बीएसई ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को एस्सेल समूह की फर्मों का पैसा कथित तौर पर दूसरी जगह भेजने के मामले में उसके प्रवर्तकों के खिलाफ जारी आदेशों के बारे में अवगत कराया। इसमें पुनीत गोयनका के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) का आदेश भी शामिल है जिसमें उन्हें किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक पद संभालने से रोक दिया गया है।
सैट ने सेबी के अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है जिसमें ज़ी एंटरटेनमेंट के दोनों प्रवर्तकों सुभाष चंद्रा और गोयनका को एक साल के लिए सूचीबद्ध कंपनियों में निदेशक पद पर रहने से रोक दिया गया था।
विलय योजना पर ऐतराज जताने वाले पक्षों का कहना था कि इस योजना के तहत गठित होने वाली नई कंपनी के प्रबंध निदेशक के तौर पर गोयनका का नाम तय होने से इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए।