अब ये बड़ी कंपनी करेगी जेपी इन्फ्राटेक का अधिग्रहण
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज के बोझ से दबी जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण के लिए लगाई गई सुरक्षा समूह की बोली को मंगलवार को मंजूरी दे दी। इससे सुरक्षा समूह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विभिन्न अटकी परियोजनाओं में 20,000 फ्लैट का निर्माण कर पाएगा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज के बोझ से दबी जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण के लिए लगाई गई सुरक्षा समूह की बोली को मंगलवार को मंजूरी दे दी। इससे सुरक्षा समूह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विभिन्न अटकी परियोजनाओं में 20,000 फ्लैट का निर्माण कर पाएगा।
एनसीएलटी के अध्यक्ष रामलिंगम सुधाकर की अगुवाई वाली दो सदस्यीय प्रधान पीठ ने सुरक्षा समूह की तरफ से कर्ज समाधान प्रक्रिया के तहत लगाई गई बोली को मंजूरी दे दी।
मुंबई-स्थित सुरक्षा समूह को ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने जून, 2021 में जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण की अनुमति दी थी। सीओसी में बैंकों के अलावा घर खरीदार भी शामिल हैं।
न्यायाधिकरण ने जेपी इन्फ्राटेक के समाधान पेशेवर की तरफ से लगाई अर्जी पर पिछले साल 22 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस याचिका में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कंपनी की विभिन्न लंबित परियोजनाओं के तहत 20,000 फ्लैट के निर्माण की सुरक्षा समूह को अनुमति देने की अपील की गई थी।
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एनसीएलटी के इस फैसले से जेपी इन्फ्राटेक की विभिन्न परियोजनाओं के तहत घरों की बुकिंग कराने के बाद भी वर्षों से इंतजार कर रहे खरीदारों को राहत मिली है। इन 20,000 घर खरीदारों को अपने फ्लैट का कब्जा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
न्यायाधिकरण ने अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर को एक निगरानी समिति बनाने को भी कहा है। यह समिति समाधान योजना को तेजी से लागू करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी। सात दिन के भीतर इस समिति का गठन करना होगा।
पीठ ने कहा कि सफल समाधान आवेदक को समाधान योजना में निर्धारित समयसीमा के भीतर ही फ्लैट की आपूर्ति घर खरीदारों को करनी होगी। पीठ ने कहा, ‘‘निगरानी समिति अधूरी परियोजनाओं की प्रगति की दैनिक आधार पर निगरानी एवं निरीक्षण करेगी। समिति को मासिक आधार पर इसकी प्रगति रिपोर्ट एनसीएलएटी के समक्ष पेश करनी होगी।’’
जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया अगस्त, 2017 में शुरू हुई थी। यह उन 12 कंपनियों की सूची में थी जिनके खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया चलाने का निर्देश रिजर्व बैंक ने सबसे पहले दिया था।
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हालांकि, ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) की धारा 12(1) के तहत कर्ज समाधान प्रक्रिया को 180 दिन के भीतर ही पूरा करने का प्रावधान है जिसे कुछ स्थितियों में 330 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन जेपी इन्फ्राटेक का मामला कई कानूनी विवादों में फंसने से लंबे समय तक अटका रहा।
सुरक्षा ग्रुप ने अपने समाधान प्रस्ताव में कर्जदाता बैंकों को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर करीब 1,300 करोड़ रुपये और 2,500 एकड़ से अधिक जमीन देने की पेशकश की थी। इसके अलावा समूह ने चार साल में सभी अधूरे फ्लैटों का निर्माण पूरा करने का भी भरोसा दिलाया था।
जेपी इन्फ्राटेक के कर्जदाताओं ने 9,783 करोड़ रुपये का दावा पेश किया था।