Varanasi Tourism: वाराणसी में लगातार बढ़ रही पर्यटकों की संख्या, जानिये कैसे भारतीय परंपरा से जुड़ रहे लोग, पढ़ें खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

वाराणसी के गोदौलिया चौराहे के मध्य में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर मुख किए हुए नंदी की मूर्ति आज भी भगवान शिव के निवास स्थान की दिशा की ओर इशारा करने वाले संरक्षक देवता की सदियों पुरानी पंरपरा को संजोए हुए है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
फाइल फोटो


वाराणसी: वाराणसी के गोदौलिया चौराहे के मध्य में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर मुख किए हुए नंदी की मूर्ति आज भी भगवान शिव के निवास स्थान की दिशा की ओर इशारा करने वाले संरक्षक देवता की सदियों पुरानी पंरपरा को संजोए हुए है। नंदी के ठीक पीछे एक बड़ी सी स्क्रीन पर एक कोला कंपनी का विज्ञापन और उसमें टिमटिमाती रोशनी जैसे लोगों को विज्ञापन देने के लिए अपनी तरफ खींच रही है।

प्रख्यात लेखक मार्क ट्वेन ने बनारस (तत्कालीन नाम) के बारे में लिखा था, ‘‘बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है।’’ हालांकि मंदिरों, घाटों और मोक्ष की खोज का यह प्रसिद्ध शहर अब परंपरा और आधुनिकता के मेल के साथ परिवर्तित हो रहा है, वहीं सरकार ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी को केंद्र बिंदु में रखा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा था कि वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में हालिया वृद्धि ‘सांस्कृतिक जागृति’ को दर्शाती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी से पहले की तुलना में शहर में 10 गुना अधिक पर्यटक आते हैं। 2019 में शहर में पर्यटकों की कुल संख्या लगभग 68 लाख थी जबकि चार साल बाद 2022 में लगभग 7.2 करोड़ पर्यटक वाराणसी पहुंचे। इसका मतलब यह है कि 2022 में सिर्फ अकेले एक महीने में 2019 के सभी आकंड़े ध्वस्त हो गए, हालांकि 2020 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान यह संख्या 10 लाख से भी कम थी। सरकार का यह आंकड़ा दर्शाता है कि 12 लाख से अधिक लोगों (पिछली जनगणना के अनुसार) वाला शहर वाराणसी, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक पर्यटकों वाला शहर बन गया है, जिसने मथुरा को भी पीछे छोड़ दिया। वर्ष 2022 में मथुरा में 6.5 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे, जिसके बाद आगरा का ताजमहल, सूची में अपना स्थान कायम किए हुए है। हालांकि आगरा में अब भी सबसे अधिक संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं।

अधिकांश लोग शहर में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि के पीछे काशी विश्वनाथ धाम गलियारे के पुनर्विकास को अहम कारण बताते हैं, जिसमें गंगा क्रूज, प्रसिद्ध आरती और बरसों पुरानी बुनाई की कला ने पर्यटकों को अपनी ओर खींचा है और वाराणसी की परंपरा को बरकरार रखा हुआ है।

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काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सीईओ सुनील वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘दिसंबर 2021 में गलियारे का उद्घाटन होने के बाद से 10 करोड़ पर्यटक मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचे।’’

उन्होंने बताया कि पांच लाख वर्ग फुट में फैला यह गलियारा वाराणसी के पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि में सहायक रहा है। वहीं भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिर के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते हुए भक्तों की लंबी-लंबी कतारों से रुक-रुक कर आती ‘हर हर महादेव’ की ध्वनि आपको ऊर्जा से भर देती है।

पदाधिकारी ने बताया, ‘‘रोजाना करीब एक से डेढ़ लाख भक्त मंदिर में आते हैं जबकि सावन के इस महीने के दौरान यह संख्या बढ़कर डेढ़ से दो लाख तक पहुंच गई है।’’

कई पर्यटकों ने बताया कि यह नया गलियारा उन्हें गंगा के तट पर स्थित पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहर में ले आया है। गुजरात से वाराणसी पहुंचे एक पर्यटक संजय मोदी ने बताया, ‘‘मंदिर के पुनरुद्धार में सरकार के प्रयासों ने अब चीजों को आसान बना दिया है। पहले की तुलना में कई सुधार हुए हैं। यहां दर्शन करने और ठहरने दोनों के लिए सुविधाएं काफी अच्छी हुई हैं।’’

उनकी पत्नी अवनी ने बताया कि हर हिंदू को एक बार काशी जरूर आना चाहिए।

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र सत्यम श्रीवास्तव ने बताया कि घाटों के आधुनिकीकरण और मंदिर के पुनर्विकास ने शहर आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

उन्होंने बताया, ‘‘देश को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाना भी सरकार की विचारधारा का हिस्सा है।’’

वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक गोयल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रशासन ने शहर में पर्यटन की आर्थिक क्षमता को बेहतर बनाने की कोशिश की है। उन्होंने बताया, ‘‘हम टूर ऑपरेटरों, होटलों और व्यापार इकाइयों पर नजर रखते हैं, जिन्होंने हमें इस बात की जानकारी दी है कि उनकी आर्थिक क्षमता में काफी सुधार हुआ है।’’

गोयल ने बताया कि लोगों की आय बढ़ी है लेकिन स्थानीय अर्थव्यवस्था में बदलाव का सटीक आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी।










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