Opinion: प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा कार्यकाल- समृद्ध, सशक्त और सफल राष्ट्र के रूप में वैश्विक पहचान
चमत्कारी नेतृत्व के प्रतिमान तथा संकल्प को सिद्धि में बदलने में पारंगत भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष 30 मई, 2020 को पूरा कर लिया है। यह अवधि सरकार के लिए चुनौतियों और उपलब्धियों से परिपूर्ण रही है।
अमरकंटक (मध्य प्रदेश): मोदी सरकार की यह एक वर्षीय यात्रा अनेक ऐतिहासिक निर्णयों की साक्षी बनी है। इनमें से अधिकांश निर्णय व्यापक प्रभाव डालने वाले हैं और इन ऐतिहासिक और साहसिक निर्णयों से दशकों से देश के विकास, देश की सांस्कृतिक एकता और राजनैतिक सर्वोच्चता को एवं राष्ट्रीय एकता तथा अखंडता तथा पहचान को चुनौती देने वाली समस्याएं निर्मूल हो गई हैं। इन निर्णयों ने एक ओर जहाँ सशक्त और सतत् काम करने वाले दृढ़ प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की छवि को और निखारने का काम किया है वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की छवि भी वादे पूरे करने वाले दल के रूप में निर्मित हुई है। इसके अतिरिक्त सरकार ने देश के सामने आई चुनौतियों का जिस तरह से सामना किया है और उन्हें दूर करने का प्रयास किया है, उससे भी लोगों का यह भरोसा और भी दृढ़ हुआ है कि देश का भविष्य सबल और सुरक्षित हाथों में है।
अखंड भारत के राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सतत् कार्यरत भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने द्वितीय चरण के प्रथम वर्ष में अनवरत कई ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं जिससे भारतीय अस्मिता को एक नई पहचान मिली है। वर्ष 2019-20 में संसद के दोनों सदनों में कुछ महत्वपूर्ण और ज्वलंत प्रश्नों पर गंभीर परिचर्चा की गई, निर्णय लिए गए और उन्हें लोकतान्त्रिक धरातल पर क्रियान्वित किया गया। इस अवधि में भारतीय संसद ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जिन विशिष्ट कार्यों का संपादन किया उनमें जल शक्ति मंत्रालय का गठन, धारा 370 और 35 ए का उन्मूलन, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को केन्द्रशासित प्रदेश घोषित करना, किसान सम्मान निधि योजना का विकास करना, किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए पेंशन योजना को लागू करना उल्लेखनीय रहा है। इन लंबित मामलों के क्रियान्वयन के साथ ही क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में शामिल ना होने का फैसला करना, नागरिकता संशोधन कानून लागू करके बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों के प्रवासी अल्पसंख्यकों के हितों को संरक्षित करने का निर्णय महत्वपूर्ण रहा है। ब्रूरयांग और बोडो समझौता किया गया जिसके अंतर्गत इंदिरा गाँधी जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक (मध्य प्रदेश) के क्षेत्रीय परिसर की स्थापना का भी आश्वासन दिया गया है।
मोदी सरकार ने अपने द्वितीय कार्यकाल के प्रथम वर्ष में ही लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में असाधारण सफलताएँ एवं उपलब्धियां प्राप्त की हैं। अनुच्छेद 370 में संशोधन ऐसा ही विस्मयकारी एवं परिवर्तनकारी निर्णय है। अनुच्छेद 370 में संशोधन के साथ ही जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हुआ और बहुचर्चित धारा 35 ‘क’ का भी निर्मूलन हो गया जिसके चलते अन्य भारतवासी समूचे जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। इस संशोधन के साथ ही जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख दो अलग केन्द्रशासित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित हो गए और एक देश, एक निशान, एक विधान का सपना पूरा हुआ। यह पूरे देश को गौरव और संतोष से भर देने वाला निर्णय था जिससे दोहरी नागरिकता, दो झंडे, अलग विधान जैसी चुभने वाली व्यवस्थाएं एक ही झटके में समाप्त हो गईं। यह ऐतिहासिक निर्णय राज्य के सभी लोगों तक सरकार का ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के मूल मन्त्र के अनुरूप विकास का रास्ता पहुँचाने वाला सिद्ध हो रहा है। इस बदलाव से केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाएं लोगों तक पहुँचने लगीं हैं, राज्य में सूचना का अधिकार और अन्य संवैधानिक अधिकार नागरिकों को प्राप्त हो गए हैं और अलगाववादी ताकतों के लिए राष्ट्रीय एकीकरण के इस प्रयास का सामना करना कठिन हो गया है। इस निर्णय से पाकिस्तान के लोगों के कश्मीरी महिला से शादी कर राज्य का नागरिक बनने के रास्ते भी बंद हो गए हैं। मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते यहाँ चल रही और पल रही आतंकवाद की समस्या भी समाप्ति के कगार पर है।
इस निर्णय का व्यापक सामरिक और कूटनीतिक प्रभाव भी पड़ा है तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की महत्ता स्वीकृत हुई है। वैश्विक नेता के रूप में प्रधानमंत्री मोदी के प्रभामंडल के कारण पाकिस्तान काश्मीर की नई व्यवस्था को किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मुद्दा नहीं बना सका और न ही किसी भी प्रमुख राष्ट्र का समर्थन उसे मिल सका। मोदी सरकार के इस निर्णय से भविष्य का कश्मीर आधारित विमर्श-बिंदु ही बदल गया है। अब तो केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से अधिकृत किए हुए कश्मीर के हिस्से की वापसी का मार्ग और समय तय किया जाना बाकी है।
प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि राम मंदिर निर्माण का मार्ग सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से शांतिपूर्वक, सर्वस्वीकार्य तरीके से प्रशस्त होना है। राम सनातन संस्कृति के प्रतीक हैं और अयोध्या उनकी जन्मभूमि। पिछले लगभग चार सौ सालों से लंबित समस्या का निवारण हो चुका है जो कई बार संघर्ष और अशांति का कारण रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने जिस तरह मुद्दे को सुलझाया है वह निश्चित तौर पर उनकी असाधारण कूटनीतिक दृष्टि और वैधानिक समाधान के प्रति प्रतिबद्धता का द्योतक है। सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान महीनों यह मुद्दा राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियाँ बनता रहा। यह अपने आप में ही आश्चर्यजनक है कि सदियों तक विवाद का विषय बना रहा मुद्दा जब सुलझा तो पूरे देश में शांति प्रसंन्नता और संतोष का भाव बना रहा। यह वर्तमान सरकार की बहुत बड़ी वैचारिक एवं प्रशासनिक उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मुस्लिम समुदाय के लिए किये गये हितकर एवं प्रगतिशील बदलावों से उनके मुख्यधारा में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त होता है, जिससे इस समुदाय का एक बड़ा तबका वंचित रहा है। तीन तलाक ऐसी ही एक रूढ़ि रही है जिससे मुस्लिम महिलाओं का जीवन अपमानजनक और संकटग्रस्त बना हुआ था और उनकी स्थिति दोयम दर्जे की बनी हुई थी। वह शोषण और अत्याचार का शिकार बनी रहीं। अपनी दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए सरकार ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019 को संसद से पारित कराके कानून बनाया और इसी के साथ तीन तलाक की अमानवीय प्रथा का सदा-सदा के लिए निर्मूलन हो गया। यह एक दूरगामी फैसला है जिससे मुस्लिम समाज में व्यापक सकारात्मक बदलाव दृष्टिगत हो रहा है। इसका व्यापक स्वागत भी हुआ और प्रधानमंत्री मोदी का प्रगतिशील मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं द्वारा खुलकर अभिनन्दन भी किया गया।
इस एक वर्ष के महत्वपूर्ण निर्णयों में नागरिकता संशोधन कानून विशेष रूप से चर्चित है और इसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ बटोरीं। राजनीतिक कारणों से इसका विरोध भीहुआ और कुछ एक जगहों पर लम्बे विरोधप्रदर्शन आयोजित किए गए। मोदी सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध कुछ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दुष्प्रचार का प्रयत्न किया गया और सरकार को इस कदम को वापसलेने के लिए दबाव बनाने की असफल कोशिश भी की गई। दृढ़प्रतिज्ञ प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रहित के इस निर्णय को बदलने का प्रश्न ही नहीं था। यह संशोधन धार्मिक रूप से प्रताड़ित उन अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता का अधिकार देता है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से यहाँ आए हैं। निश्चित रूप से पर यह मानवीयता की दृष्टि से किया गया सकारात्मक बदलाव है जिससेे हजारों विस्थापितों के मानवाधिकार की रक्षा हुई है।
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कोरोना मानवता के लिए तो घातक है ही, साथ ही साथ अर्थव्यवस्था को भी इसने पूरी तरह पंगु कर दिया है। कृषि, उद्योग, सेवा, उत्खनन, विनिर्माण, परिवहन आदि हर क्षेत्र में भीषण संकट उत्पन्न हो गया है जिससे उबरने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया 20 लाख करोड़ का पैकेज संजीवनी का काम कर रहा है। यह पैकेज वापस घरों की ओर लौट रहे कामगारों की चिंता भी करता है और आश्वस्त भी करता है। मोदी की दृष्टि गाँव को इस लायक बनाने की ओर भी है जिससे वहां ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर सृजित हो सकें। कोरोना जैसी वायरस जनित आपदा से बचाव की दिशा में प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना वैश्विक धरातल पर राजनेताओं एवं विभिन्न संगठनों द्वारा की जा रही है।
सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में दस बड़े सरकारी बैंकों का विलयन कर चार बैंक बना दिए हैं। बैंकिंग व्यवस्था अनेक कमियों से ग्रस्त थी और संकट में थी। प्रधानमंत्री द्वारा विलयन के निर्णय से एनपीए को रोकने में बैंकों को सहायता मिली और साथ ही साथ 55.250 करोड़ के बेलआउट पैकेज ने भी बैंकों को अपनी साख बचाने में बड़ी सहायता की। यह निर्णय भी दूरगामी प्रभाव वाला है और बैंकों को एनपीए जैसे संकट से उबारकर मजबूती प्रदान करने वाला है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णायक बदलाव किया है। पिछले कार्यकाल में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक ने पाकिस्तान की नकेल कसने का काम किया था। सेना में सुधार और उसका आधुनिकीकरण और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति जैसे निर्णयों ने भारतीय रक्षा प्रणाली में संरचनात्मक बदलाव की ओर कदम बढ़ाया है। तेजस को सेना में शामिल करना और मेक इन इंडिया उत्पादों की आपूर्ति जैसे फैसले एक बड़े बदलाव का संकेतक हैं। लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर आधारभूत संरचनात्मक सुधार, सड़क निर्माण और इसके बाद चीन से हुई तनातनी में सरकार की दृढ़ता दृष्टव्य है। जिस तरह से आक्रामक होने के बाद चीन के तेवर ढीले हो रहे हैं वह मजबूत सरकार के प्रभाव को इंगित करता है।
प्रधानमंत्री ने अपनी दूसरी पारी में कुल सात देशों की यात्रा की है और अमेरिकी राष्ट्रपति की मेजबानी की। भारत की ओर आज सम्पूर्ण विश्व आशा भरी निगाह से देख रहा है। यह वैश्विक फलक पर भारत की दमदार उपस्थिति का द्योतक है। यह प्रभाव विश्व स्वास्थ्य संगठन का नेतृत्व करने, न्यूयार्क में विश्व जलवायु एक्शन समिट में पर्यावरण के लिए रक्षात्मक उपायों को प्रस्तुत करने से लेकर हाल में तालिबान के उस बयान तक में दिखाई देता है जहाँ उसने अफगानिस्तान शांति वार्ता में भारत को एक अनिवार्य पक्ष के रूप में स्वीकार किया है। आज राष्ट्रपति ट्रम्प भारत के लिए जी-7 के दरवाजे खोलते दिखाई देते हैं तो यह मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व का योगदान कहा जा सकता है। आज विश्व के लिए भारत नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है।
द्वितीय पारी के पहले वर्ष में ही मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटी के साथ-साथ सबल और सक्षम गाँव के निर्माण की पहल कर दी है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से 72,000 करोड़ रूपये से ज्यादा की सहयोग राशि साढ़े नौ करोड़ से भी ज्यादा किसानों को मिली है। मृदा संरक्षण, जलजीवन मिशन, उज्ज्वला योजना, नरेगा में आवंटन, मुद्रा योजना आदि सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी प्रभावी ढंग से लागू हैं और इनका सकारात्मक प्रभाव ग्रामीण परिवारों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में परिलक्षित होना है। वस्तुतः विगत एक वर्ष में ही सरकार ने अपने पूर्व कार्यकाल के कार्यों एवं लक्ष्यों को गति और विस्तार दिया है। जनता द्वारा द्वितीय कार्यकाल के लिए प्रदत्त प्रचंड समर्थन सेसरकार को समग्र समावेशी विकास की अवधारणा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ काम करने का अवसर मिला है। यह सरकार में जनता के विश्वास का परिचायक है।
प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का प्रत्यक्ष उदाहरण उनकी जन-धन योजना है जिसके चलते करोड़ों खाते खोले गए थे और कोरोना संकट के समय में इन्हीं खातों के चलते सरकार द्वारा दी गई सहयोग राशि सीधे लोगों के पास पहुंची। सरकार की योजनाओं ने और प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत रूचि ने ऐसा ढांचा तैयार किया है जिसमें गाँव भी एक सबल और समर्थ संगठनात्मक इकाई के रूप में विकसित हो रहे हैं। शहरी-ग्रामीण सुविधा-संरचना के अंतर को कम करने की दिशा में सरकार ने सार्थक पहल की है। पहली बार इन्टरनेट उपभोक्ताओं के मामले में गाँव शहरों से आगे निकल गए हैं। यह एक बड़े बदलाव का संकेत है और स्वावलंबी भारत तथा ग्राम स्वराज के सपने को मूर्त रूप देने के प्रयत्न का प्रतिफल है। प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता से समस्त 135 करोड़ भारतवासियों के लिए समन्वित विकास का पथ निर्मित, सहज एवं सुगम होना है।
मोदी के निर्देशन में नई शिक्षा तैयार है जिससे शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल बदलाव होने की संभावना है। शिक्षा को मूल्यपरक, रोजगारपरक और नवोन्मेषी बनाना सरकार की प्राथमिकताओं में निहित है। कौशल विकास का मन्त्र मोदी सरकार की शिक्षा सम्बन्धी चिंतन के केंद्र में है और इसके लिए व्यावसायिक शिक्षा को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। उद्यमिता का विकास और पारम्परिक कलाओं को भी कौशल के रूप में परिवर्तित करके उनकी आर्थिक उपादेयता बढ़ाना भी वोकेशनल एजुकेशन का एक उद्देश्य है। सरकार शिक्षा को वंचित समूहों तक लेकर जा रही है और लगभग 4500 एकलव्य विद्यालय आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष रूप से खोले जा रहे हैं।
एक साल की यह यात्रा पूर्णतः निरापद नहीं थी। अनेक चुनौतियों से भी यह भरी रही है। एक बड़ा संकट अर्थव्यवस्था के डगमगाने का रहा है। कोरोनासंक्रमण से पूर्व से ही पूरी दुनिया मंदी का सामना कर रही थी और इसने विकास के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न कर दी थीं। भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ा। मोदी सरकार की तत्परता और उसके सुधारात्मक उपायों ने अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में सहायता की। आज कोरोना जनित आपदा के चलते पूरी दुनिया में ही अर्थव्यवस्था के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। मोदी सरकार ने इससे लड़ने के लिए स्वदेशी का मन्त्र दिया है जो अर्थव्यवस्था के लघु, सूक्ष्म और माध्यम उद्योगों को संजीवनी शक्ति प्रदान करेगा और असंगठित क्षेत्र को आगे लाने में सहायक होगा। इससे महामारी के चलते अपनी आजीविका एवं कार्यस्थल छोड़कर गाँव लौटे लोगों को आजीविका और आय के नए अवसर मिलेंगे।
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भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों की बैठक करके ‘कोरोना इमरजेंसी फण्ड’ बनाया जिसमें दस मिलियन डॉलर के भारतीय योगदान की घोषणा की। भारतीय चिंतन में वैश्विक एकता के सूत्र को मूर्त रूप देते हुए नरेन्द्र मोदी जी ने सार्क देशों के प्रतिनिधियों से यह कहा कि इस समय एशियाई देशों को मिलकर काम करना होगा। हमारी यह एकता ही कोरोना वायरस को पराभूत कर सकती है। भारत ने विश्व समुदाय को यह अवगत करा दिया है कि इस महामारी का मुकाबला साथ आकर ही किया जा सकता है, अलग होकर नहीं। भारत ने आगे बढ़कर यह सन्देश दे दिया है कि वह पूरे दायित्व के साथ अपना सहयोग देने के लिए तत्पर है। भारत ने इस सहयोग की भावना को ही प्रज्ज्वलित नहीं रखा बल्कि अनेक देशों के नागरिकों को उनके देश भेजने का कार्य भी निरंतर किया जा रहा है जिसका बहुत ही सकारात्मक प्रभाव विश्व राजनीति पर पड़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसे नेता के रूप में अपनी छवि को द्विगुणित किया है जो अपने राष्ट्र की चिंता के साथ-साथ विश्व मानव की भी चिंता करता है। भारतीयों के साथ उनका संवाद, उनका उत्साहवर्धन और आत्मबल भरने के उनके तरीके अतिशय आत्मीय एवं प्रभावी हैं। यहाँ संसाधनों की कमी और जनसंख्या के दबाव के बावजूद जिस तरह महामारी को नियंत्रण में रखा गया है, वह पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण बन चुका है। यह पहला मौका था जब विश्व के प्रमुख देशों ने भारत को एक सशक्त, विवेकशील और मार्गदर्शक राष्ट्र के रूप में देखा और इसकी सराहना की। लॉकडाउन के दौरान पांच सूत्रीय और सात सूत्रीय संकल्पों ने राष्ट्र को बल दिया और पूरे विश्व को प्रेरणा दी। सबको भोजन, सबको अन्न, आवश्यक वस्तुओं की वितरण व्यवस्था, दवाओं का पर्याप्त भंडारण, चिकित्सा की उत्तम सुविधाएँ, पीएम केयर फण्ड की स्थापना जैसी अनेक जनहितकारी योजनाओं और उनके सफल क्रियान्वयन ने पूरे विश्व को चमत्कृत कर दिया। डेनमार्क, कनाडा और दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्रियों तथा अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जैसे अनेक नेताओं ने भारत के नेतृत्व की सराहना की है। इस सराहना में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व, उनकी भूमिका तथा उनकी जनहित भावना का बार-बार उल्लेख हुआ है।
विश्व राजनीति में भारत की प्रभावी छवि और निर्णायक भूमिका उभरकर सामने आई है। अपने राजनैतिक चिंतन के मन्त्रों को भारत ने विश्व राजनीति की आत्मा में घोल दिया है। वह मंत्र जो असत से सत, बुराई से भलाई, अंधकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरत्व की ओर विश्व मानवता को सन्नद्ध करता है और जो त्रिविध ताप को शांत और निर्मूल करने वाली संजीवनी है। आज इसी संजीवनी की आवश्यकता पूरे विश्व को है और भारत इसे उपलब्ध कराने को तत्पर भी है और सक्षम भी।
किसी सरकार के कार्यों और उपलब्धियों की समीक्षा के लिए एक वर्ष की अवधि मायने नहीं रखती है। मोदी सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल कोरोना संकट के बावजूद अनेक कार्यों और उपलब्धियों से परिपूर्ण है तथा अनेक महत्वपूर्ण बदलावों का वाहक और साक्षी रहा है। मोदी के व्यक्तित्व में चमत्कारी एवं प्रभावीवैश्विक नेतृत्वकर्ता की झलक है जिससे सुरक्षा और संतोष का भाव उत्पन्न होता है। वह एक ऐसे नायक हैं जिनका स्वागत विश्व का शक्तिशाली नेतृत्व वर्ग भी करता है और जो अविश्वसनीय, महत्वाकांक्षी, आर्थिक समृद्धि से अहंकारी किन्तु संशयग्रस्त पड़ोसी की आँखों में आँखे डालकर उसको निरुत्तर कर देता है।
प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व लोगों में विश्वास पैदा करता है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी निरंतर राष्ट्रचिंतन में तल्लीन हैं, लगातार सोलह घंटे तक सक्रिय रह कर हर चुनौती का सामना करने, हर संकट का समाधान करनेमें संलग्न हैं। आज के दौर के वह महानायक हैं। उनकी राष्ट्रभक्ति, उनका समर्पण, उनका परिश्रम और उनका व्यक्तित्व हम सभी के लिए प्रेरक और आदर्श है। रणनीति, विदेशनीति एवं कूटनीति में पारंगत तथा संकल्प से सिद्धि की ओर बढ़ने वाले वह सफल साधक हैं।
(लेखक प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश के कुलपति हैं)