अंतरिक्ष क्षेत्र में आम आदमी, उद्योगों के प्रवेश पर रोक के कारण बाधित हुई प्रगति : जितेन्द्र सिंह
अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों का नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा श्रेय लिए जाने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को राज्यसभा में दावा किया कि इस क्षेत्र को आम आदमी एवं उद्योगों के लिए बंद करके रखा गया था जिससे इसकी प्रगति इतने वर्षों तक बाधित रही। उन्होंने बताया कि देश में अभी अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में 150 स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों का नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा श्रेय लिए जाने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को राज्यसभा में दावा किया कि इस क्षेत्र को आम आदमी एवं उद्योगों के लिए बंद करके रखा गया था जिससे इसकी प्रगति इतने वर्षों तक बाधित रही। उन्होंने बताया कि देश में अभी अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में 150 स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अंतरिक्ष विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेन्द्र सिंह ‘भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा चंद्रयान-3’ की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ विषय पर राज्यसभा में अल्पकालिक चर्चा में हस्तक्षेप कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने दर्शक दीर्घा में बैठे, चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल की ओर सभी सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया। इस पर सदस्यों ने मेजें थपथपाकर वरिष्ठ वैज्ञानिक का स्वागत किया।
सिंह ने इसरो की वैज्ञानिक टीम की सराहना करते हुए कहा कि यदि वहां रत्ती भर भी राजनीति रही होती तो देश चंद्रयान-3 की सफलता अर्जित नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि चंद्रयान अभियान की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इसे दी गई मंजूरी के साथ हुई थी। उन्होंने कहा कि इस श्रृंखला का तीसरा अभियान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा है।
सिंह ने कहा कि यदि आप अतीत में जाएं और पुरानी तस्वीरों को देखें तो मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई प्रक्षेपण वाहन को साइकिल कैरियर पर ले जाते हुए दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने प्रश्न किया, ‘‘उस समय प्रधानमंत्री कौन थे? उस समय किसकी सरकार थी?’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे वैज्ञानिकों में कभी प्रतिभा-योग्यता की कमी नहीं थी, निष्ठा भी थी। मेहनत करने का जज्बा था और आंखों में सपने थे। कुछ नहीं होते हुए भी कुछ कर गुजरने का साहस था। लेकिन अभाव था अनुकूलता का, वह अभाव अब पूरा हुआ है।’’
मंत्री ने कहा कि जब देश ने 1960 के दशक में अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया तो एक तरफ साराभाई जैसे वैज्ञानिकों के पास परिवहन का अभाव था, वहीं अमेरिका और सोवियत संघ चंद्रमा की सतह पर मनुष्य को उतारने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह अंतर था उस समय।
सिंह ने प्रश्न किया कि ऐसा क्या हुआ कि देश के वैज्ञानिकों ने इतनी ‘लंबी छलांग’ लगाई? क्या कोई जादू की छड़ी आ गई?
उन्होंने कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश द्वारा कही गई इस बात का जिक्र किया कि यह कोई सैन्य कार्यक्रम नहीं था।
अंतरिक्ष विज्ञान मंत्री ने रमेश की इस बात पर प्रश्न किया कि यदि यह सैन्य कार्यक्रम नहीं था तो आम आदमी के श्रीहरिकोटा में जाने पर रोक क्यों लगाई गई थी? उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार ऐसा हुआ कि श्रीहरिकोटा के द्वार 2020 में (आम आदमी के लिए) खोले गए।’’ उन्होंने कहा कि उस समय कौन प्रधानमंत्री थे, वह यह नहीं बताना चाहते क्योंकि यह चर्चा प्रधानमंत्रियों पर नहीं है।
सिंह ने कहा, ‘‘आपने (कांग्रेस सदस्य रमेश ने) इसे नेहरू युगीन चर्चा बनाने का प्रयास किया। मैं नेहरू द्वारा की गई भारी भूलों का जिक्र नहीं करना चाहता।’’
मंत्री ने कहा कि आम आदमी एवं मीडिया को श्रीहरिकोटा के भीतर झांकने की भी अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘आपने (पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने) अंतरिक्ष विज्ञान विभाग को गोपनीयता के चक्र के पीछे छिपाए रखा...आपने उद्योग को इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी। इसी वजह से प्रगति रुक गई और हमें वहां पहुंचने में 75 वर्ष लग गए जहां हम (अभी) पहुंच पाए हैं।’’
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उन्होंने कहा कि 2014 से पहले अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मात्र चार स्टार्ट-अप थे और यह बताना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि आज इस क्षेत्र में 150 स्टार्ट-अप हैं।
सिंह ने सवाल किया कि पांच आईआईटी संस्थानों को लेकर जश्न क्यों मनाया जा रहा है? मंत्री ने कहा, ‘‘हम सभी कॉलेजों और संस्थानों की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक किसी आईआईटी से नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने महिला वैज्ञानिकों की भी सराहना की है तथा चंद्रयान-3 अभियान की संयुक्त परियोजना निदेशक महिला वैज्ञानिक कल्पना हैं।
सिंह ने कांग्रेस सदस्य रमेश पर आरोप लगाया कि वह अंतरिक्ष क्षेत्र की भारत की यात्रा के घटनाक्रम को सुनाकर तथ्यों को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यदि केवल अंतरिक्ष क्षेत्र को ही देखा जाए तो पिछले नौ वर्ष में कोष में 142 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विभाग का बजट 2013-14 में 5168 करोड़ रुपये था जो 2023-24 में बढ़कर 12 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। उन्होंने अन्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के बजट में हुई वृद्धि से संबंधित आंकड़ों का उल्लेख किया।
सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के बजट में 2013-14 से लेकर 2023-24 के बीच 142.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि आज वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और उद्योगों के बीच बहुत बेहतर तालमेल कायम हुआ है।
उन्होंने कहा कि अभी तक भारत ने कुल 424 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है जिसमें से पिछले नौ साल में 389 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया जो करीब 90 प्रतिशत हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘हमने अभी तक 17.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित करके प्राप्त किए हैं जिनमें से पिछले नौ साल में 15.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए गए।’’ उन्होंने कहा कि इसके लिए देश के वैज्ञानिकों को श्रेय दिया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 अभियान की लागत मात्र 600 करोड़ रुपये आई है। उन्होंने कहा कि इसी के साथ जो चंद्रयान अभियान सफल नहीं हुए, उनकी लागत 16 हजार करोड़ रुपये थी। उन्होंने कहा कि देश के वैज्ञानिक आर्थिक संसाधनों की भारी कमी के बीच काम कर रहे थे।
सिंह ने कहा कि वह देश के वैज्ञानिकों को इस बात के लिए बधाई देना चाहते हैं कि उन्होंने विश्व को किफायती अंतरिक्ष अभियानों की परिकल्पना प्रदान की है और अन्य देशों की लागत की तुलना में मात्र दस प्रतिशत में अपने अभियानों को साकार किया है।
उन्होंने कहा कि भारत के ‘आदित्य’ अभियान की लागत कुल 380 करोड़ रुपये है।
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मंत्री ने अंतरिक्ष विज्ञान में देश की प्रगति का चिकित्सा, आपदा प्रबंधन सहित विभिन्न क्षेत्रों को मिलने वाले लाभ का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह पर उतरने और चहलकदमी करने वाले अमेरिका के नील आर्मस्ट्रांग को वहां पानी का नामोनिशान नहीं मिला जिसे भारत के चंद्रयान ने ढूंढ़ निकाला। उन्होंने कहा, ‘‘चंद्रमा पर मनुष्य रह सकता है कि नहीं, जैसी तमाम पहेलियों का वैज्ञानिक उत्तर देने की प्रेरणा हमारे चंद्रयान ने दी है।’’
सिंह ने कहा कि आज भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अभिनव प्रयोग के मामले में किसी भी अन्य देश के बराबर है और ‘‘कुछ क्षेत्रों में हम एक कदम आगे बढ़ गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने सुझाव दिया है कि भारत के वैज्ञानिकों को उनके वैज्ञानिकों के साथ अंतरिक्ष स्टेशन पर जाना चाहिए।
मंत्री ने भारत के एक अन्य महत्वपूर्ण अभियान ‘गगनयान’ की जानकारी देते हुए कहा कि कोविड, आपूर्ति श्रृंखला में कठिनाइयों के कारण इसमें कुछ विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि देश अपना पहला प्रायोगिक अभियान जल्द ही शुरू करेगा, जो मानवरहित होगा।
सिंह ने कहा कि भारत के दूसरे अभियान में एक महिला रोबोट ‘वायु मित्रा’ को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि इसे संभवत: अगले साल के शुरू में भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2024 में मानव अंतरिक्ष यात्री के साथ गगनयान को भेजा जाएगा।
मंत्री ने कहा कि यद्यपि राकेश शर्मा के रूप में एक भारतीय अंतरिक्ष में जा चुके हैं किंतु वह सोवियत संघ के मिशन के तहत वहां गए थे। उन्होंने कहा कि गगनयान पूर्णत: भारतीय मिशन है जिसका प्रत्येक ‘नट बोल्ट’ भारतीय होगा।
सिंह ने कहा कि 75 साल में जिन मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, उन पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन में करीब 80 प्रतिशत कोष गैर सरकारी स्रोतों से प्राप्त होने की परिकल्पना की गई है।
सिंह ने कहा, ‘‘यदि हमें वैश्विक स्तर पर विकास करना है तो हमें वैश्विक मानकों का अनुपालन करना होगा। हमें वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार रहना पड़ेगा। हमें उन्हें वैश्विक रणनीतियों में मात देनी होगी।’’
उन्होंने कहा कि जर्मनी और अमेरिका जैसे कई देशों में अनुसंधान से संबंधित सोसाइटी हैं। सिंह ने प्रश्न किया, ‘‘हमारे यहां यह क्यों नहीं है? हमें इतनी प्रतीक्षा क्यों करनी पड़ी? इसका उत्तर कौन देगा?’’