Kargil Vijay Diwas: कारगिल के अमर शहीदों को समर्पित कविता पढ़िये यहां

प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास

भारत में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। आज यानी 25 जुलाई 1999 को भारत के जाबांज सैनिकों ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटाया था। करगिल के शहीदों को समर्पित प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास की एक भावपूर्ण कवता पढ़िये यहां

प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास
प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास


नई दिल्ली: आज पूरे देश में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। 25 जुलाई 1999 को आज के ही दिन भारत के जाबांज सैनिकों ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटाया था और दुश्मन की सेना को खदेड़कर कारगिल में तिरंगा लहराया था। 

कारगिल के अमर शहीदों को देश भर में श्रद्धांजलि दी जा रही है। करगिल के शहीदों को समर्पित प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास की एक भावपूर्ण कवता पढ़िये यहां।

कारगिल का शहीद 

खुश थे सभी इंतजार बहुत किया था,
मां-बाबा का सैनिक बेटा अफसर बन घर आया था।
मां बुदबुदाई जाने ना दूंगी अब तुम्हें,
सास बने बिना ही, क्या मर जाने दोगे मुझे।
पिता का स्वपन साकार किया, अब मेरी बारी है,
आंगन में मुझे अब तुम्हारी दुल्हन बेटे लानी है।।
बहना के गानों में गजब की खनक थी,
देवर बनेंगे छोटे भैया मोहल्ले भर को यह खबर थी।
भैया हमें दोगे ना कंगना, तो दुल्हन ना देख पाओगे,
संग रहेगी वह हमारे तुम देखते रह जाओगे।।

यह भी पढ़ें | भारत ने पाकिस्तान से कश्मीर मुद्दा उठाने के बजाय अपने आंतरिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा

सेहरा सजा दूल्हा बना दुल्हन को ब्याह लें आ गया,
मन ही मन वह खुश हुआ जीवन का आनंद आ गया।
मां को बहु बहना को कंगना अब दुल्हन की बारी थी,
कैसी होगी जीवन संगिनी घूंघट उठाने की बेकरारी थी।।

कदम बढ़े मदहोश हुआ, जब नैन लड़े मृगनयनी से,
मातृभूमि चित्कार उठी तुम आन बचाओ जल्दी से।
मां-बाबा संग बहना-भैया निकल आए सब आंगन में,
तिलक लगाकर विदा किया उसकी सजी सुहागन ने।।

मातृभूमि की लाज बचाकर बेटे जब तुम आवोगे,
माँ वसुंधरा के ऋण से तुम उऋण हो जाओगे।
सजी सेज फूलों की छोड़ सैनिक सीमा पर जा पहुंचा था,
दुश्मन से रण में लोहा मातृभूमि अपमान का लेना था।।

सीने में आग बाजुओं में जोश आंखों में सजनी का चेहरा था,
टूट पड़ा शत्रु पर ऐसे जैसे काल उसका आ ठहरा था।
आपरेशन विजय को बना सफल चिर निद्रा में वह सो गया,
गांव शहर आस-पड़ोस शहीद का घर हो गया।।

यह भी पढ़ें | संसदीय समिति ने पाकिस्तान और चीन की ओर किया ये इशारा, सेना का बजट बढ़ाने की सिफारिश, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

तिरंगे में लिपटा आकर अंतिम विदाई ले गया,
मेहंदी चुनरी श्रृंगार प्रिया के जाते-जाते संग ले गया।
फेरो की कसम छुअन की सिहरन,
जाते-जाते अबला को मुंह दिखाई दे गया।।

प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास
 

(लेखिका प्रो. (डॉ.) सरोज व्यास, फेयरफील्ड प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान, कापसहेड़ा, नई दिल्ली में डायरेक्टर हैं। डॉ. व्यास संपादक, शिक्षिका, कवियत्री और लेखिका होने के साथ-साथ समाज सेविका के रूप में भी अपनी पहचान रखती है। ये इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के अध्ययन केंद्र की इंचार्ज भी हैं)










संबंधित समाचार