वाह रे साहब! समाधान दिवस के दरबार में टूटा फरियादियों का दम, जमीन पर दबंगो का जबरन कब्जा, तो तहसील परिसर में फफक कर रो पड़े दंपति
यूपी के महराजगंज जिले में कानूनगो व लेखपाल कानून व्यवस्था को लेकर किस कदर सजग है, इसका जीता जागता नमूना शनिवार को समाधान दिवस में दिखा, जब दबंगो द्वारा जमीन कब्जाने के मामले में दंपत्ति की करूण कंदन सुनकर तहसील परिसर में भारी भीड़ जुट गई। डाइनामाइट न्यूज पर पढ़िये तहसील प्रशासन का अजीबो-गरीब कारनामा
महराजगंजः भले ही सरकार समाधान दिवस में हर पीड़ितों को न्याय दिलाने का दावा किया है, लेकिन महराजगंज जिले के बरवां चमईनिया गांव के लेखपाल व कानूनगों ने इस दावे को दरकिनार कर दिया है। उनकी असलियत तार-तार तब हुई, जब एक दंपत्ति शनिवार को समाधान दिवस में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे। हाथो में पर्ची लिए दपंत्ति फफक-फफक कर रो पडे़। उनका आरोप है कि इस मामले में न तो थानेदार सुना और न ही तहसीलदार। जिला प्रशासन भी पीड़ितों के मदद में आगे हाथ नहीं बढ़ाया। थक हार कर एक बार फिर हुक्मरानों के दरबार में पीड़ितों ने मत्था टेका, लेकिन इस बार भी उसे निराशा ही हाथ लगी।
बाप से बिरासत में दुर्गेंश को मिली है छह डिस्मिल जमीन
मामला घुघली थाने के बरवा चमईनिया गांव का है। यहां के निवासी दुर्गेश दूबे की पैतृक जमीन आराजी नम्बर 227 ज खतौनी में दर्ज है। बाप से विरासत में मिली मात्र छह डिस्मिल जमीन के सहारे ही उनके कुनबा का भविष्य है। दुर्गेश दूबे ने बताया कि वह परिवार के जीविकोपार्जन के लिए बाहर कमाने चले गए थे। इसी दौरान गांव के ही कुछ लोगों ने उनके जमीन पर कब्जा कर लिया है और उस जमीन पर जबरन मकान निर्माण कराने के फिराक में है।
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पुलिस ने भी नहीं सुनी बात
बाहर से घर वापस लौटने के बाद दुर्गेंश इसे मामले को लेकर थाने पहुंचे। वहां से दरोगा ने उनकी बात को अनसुनी कर दिया। इसके बाद उन्होंने जमीन को खाली कराने के लिए पत्थरनसब का मुकदमा दाखिल किया। वह भी कुछ दिनों में खारिज कर दिया गया। इस दौरान लेखपाल व कानूनगों ने रटा-रटाया एक ही जवाब दिया जमीन को खाली करना संभव नही है, क्योकि उस जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया है।
जिला प्रशासन ने भी मदद को नहीं बढ़ाया हाथ
इसके बाद पीड़ित दंपति तहसील प्रशासन के दरबार में पहुंचा। वहां भी निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद पीड़ित एसडीएम से लेकर जिला प्रशसन के बडे़ हुक्मरानों के दरबार में जाकर हाजिरी लगाई। वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिलते दिखाई दी। तकरीबन पांच महीने से दौड़ लगा रहा दुर्गेश पूरी तरह से टूट गया।
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अंत में एक बार फिर शनिवार को दुर्गेश अपनी पत्नी खुशबू संग समाधान दिवस में पहुंचा। यहां फिर हाजिरी लगाई। इस दौरान दोनो दंपत्ति फफक-फफक कर रो पडे़। उन्होने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि बडे अरमान के साथ यहां आया था, लेकिन यहां से भी न्याय की उम्मीद टूटती नजर आ रही है।