Uttar Pradesh: लखनऊ में पॉवर कारपोरेशन के अधिशासी अभियंता पर गिरी गाज

डीएन ब्यूरो

यूपी के लखनऊ में पॉवर कारपोरेशन के एमडी ने विद्युत निगम के अधिशासी अभियंता पर बड़ा एक्शन लिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अधिशासी अभियंता पर कड़ी कार्रवाई
अधिशासी अभियंता पर कड़ी कार्रवाई


लखनऊ: यूपी के लखनऊ (Lucknow) में शुक्रवार को बिजली विभाग से बड़ी खबर सामने आयी है। पॉवर कारपोरेशन (Power Corporation) के एमडी पंकज कुमार ने अधिशासी अभियंता (Executive Engineer) प्रशांत कुमार की गड़बडियों में संलिप्तता के कारण सस्पेंड (Suspend) कर दिया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन में पांच अधिशासी अभियंताओं को नियमों के विपरीत अधीक्षण अभियंता बना दिया गया। 

बिजली विभाग में बड़ा खेल

जानकारी के अनुसार बिजली विभाग में 40 अधिशासी अभियंताओं के अधीक्षण अभियंताओं के पद पर प्रमोशन (Promotion) हुआ। जिसमें  बड़ी गड़बड़ियां पायी गई। जांच में अधिशासी अभियंता प्रशांत कुमार पर गड़बड़ियों का आरोप लगा है।

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पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने 24 अगस्त को 40 अधिशासी अभियंताओं को अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति दी। सूची जारी होने पर पांच अधिशासी अभियंताओं को नियमों के विपरीत पदोन्नति की शिकायत उच्च प्रबंधन से की गई। जांच में शिकायत सही मिली।

नियमों को ताक पर रख पदोन्नति
40 अफसरों को प्रमोशन दिया गया था, लेकिन इस लिस्ट में पांच ऐसे भी अधिकारी शामिल कर लिए गए जो प्रमोशन के दायरे में ही नहीं आते थे। उन्हें 24 अगस्त को जारी सूची में अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रोन्नति दे दी गई। जब मामला खुला तो चार दिन बाद 28 अगस्त को इन पांचों अफसर का प्रमोशन आदेश निरस्त कर दिया गया, लेकिन सूची बनाने को लेकर सवाल खड़े हुए तो इसकी जांच शुरू हुई। जांच में प्रथम दृष्ट्या उपसचिव प्रशांत कुमार को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया।

मामले की विस्तृत जांच शुरू
पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल का कहना है कि पांच अधिशासी अभियंताओं का नाम चयन समिति के सामने गलत तरीके से रखे गए थे। सभी की पदोन्नति निरस्त कर सूची बनाने वाले अभियंता को भी निलंबित कर दिया गया है। विस्तृत जांच कराई जा रही है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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दूसरी तरफ विद्यत विभाग में शीर्ष अधिकारियों द्वारा पदोन्नतियो में भ्रष्टाचार की ख़बर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि प्रमोशन कराने वाले का ही निलंबन हो गया है तो अब चालीसों का क्या-क्या होगा और निगमोंं के द्वारा गलत विवरण भेजने वाले अधिकारियों का क्या होगा।










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