DN Exclusive: यूपी में संजीव मित्तल का बढ़ा कद, मुख्य सचिव बदले जाने के आसार
राज्य की योगी सरकार 19 मार्च को चार साल पूरे कर रही है। इसके साथ ही सूबे में चुनावी साल की शुरुआत हो जायेगी। ऐसे में प्रदेश में बेजान और ढ़ीली पड़ चुकी शीर्ष नौकरशाही को कसे जाने की कवायद अंदरखाने शुरु कर दी गयी है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
नई दिल्ली: अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश की टॉप ब्यूरोक्रेसी पर दिल्ली की निगाहें काफी मजबूती से लगी होती हैं। हर हलचल पर नार्थ ब्लाक और साउथ ब्लाक की भी नजर होती है। इसकी एक बड़ी वजह है पीएम का संसदीय क्षेत्र यूपी में होना। यह वजह तब और खास हो जाती है जब चुनावी साल हो।
2 मई को पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के साथ ही यूपी पर दिल्ली के राजनीतिक आकाओं की नजरें और पैनी हो जायेगी। सारी कवायद का मिशन एक होगा कि कैसे यूपी जीता जाये? इसके लिए ब्यूरोक्रेसी के ढ़ीले पेंचों को कसना बेहद अहम होगा। फिलहाल दिल्ली में यूपी के ब्यूरोक्रेसी की पिक्चर बेहद खराब है औऱ माना जा रहा है कि वर्तमान अफसरों के चलते राह आसान नहीं होगी।
1987 बैच के आईएएस और फिलहाल वाणिज्य कर महकमे के अपर मुख्य सचिव संजीव मित्तल लगभग चार साल तक वित्त विभाग संभालते रहे। लगातार चाल साल तक वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग में रखे गये मित्तल को लेकर लोगों को अचरज तब हुआ जब बजट पेश करने के ऐन पहले इनको हटा दिया गया, इससे भी बड़ी हलचल तब मची जब अंदरखाने में 'कुछ खास लोगों ने' यह लीक किया कि मुख्य सचिव आरके तिवारी वित्त विभाग के प्रस्ताव लटकाने की कार्यशैली से खुश नहीं थे और इस बारे में मुख्य सचिव ने वित्त विभाग को पत्र तक लिखा है। पत्र लिखे जाने की गोपनीय खबर तबादले के साथ लीक किये जाने की बात दिल्ली को पसंद नहीं आयी।
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फिलहाल इस तबादले के डेढ़ महीने के अंदर ही संजीव मित्तल का कद एक बार फिर अचानक से बढ़ा दिया गया है। उन्हें वाणिज्य कर विभाग के अपर मुख्य सचिव के साथ-साथ प्रदेश का अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (IIDC) भी बना दिया गया है। यही नहीं रेणुका कुमार के बेंगलुरु प्रवास पर जाने की वजह से मित्तल को 20 मार्च तक के लिए बेसिक शिक्षा जैसे बेहद अहम महकमे का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। अंदर की खबर है कि सीएम ने खुद अपनी पसंद के हिसाब से मित्तल को IIDC का कामकाज सौंपा है।
अब बात मुख्य सचिव की
मुख्य सचिव आरके तिवारी 1985 बैच के आईएएस हैं। किस्मत के सहारे सीएस की कुर्सी तक पहुंचे तिवारी की ढ़ीली कार्यशैली ने हर किसी को निराश किया है। शायद यही वजह है कि सीएम ने IIDC का कामकाज मुख्य सचिव से छीनकर मित्तल को सौंपा है। राजस्व परिषद के चेयरमैन दीपक त्रिवेदी अप्रैल में रिटायर हो रहे हैं और काफी हद तक संभव है कि त्रिवेदी के रिटायरमेंट के साथ ही आरके तिवारी को इस पद पर शिफ्ट कर दिया जाय ताकि वे अपना बचा समय इस कुर्सी पर बैठ काट सकें।
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तो फिर नया मुख्य सचिव कौन?
दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर गये अफसरों को छोड़ दें तो राज्य में सेवारत 1986 और 1987 बैच के आईएएस अफसर इस रेस में सबसे आगे बताये जा रहे हैं। आलोक सिन्हा के सीएस बनने की संभावना कम जतायी जा रही है, डाइनामाइट न्यूज़ ने जब इस बारे में अपने उच्चपदस्थ सूत्रों से बात की तो पता चला कि इस पद के लिए तीन अहम नामों पर गंभीरता से मंथन चल रहा है। मुकुल सिंघल, अवनीश अवस्थी और संजीव मित्तल।
लेकिन अब सवाल यह कि इन तीनों में कौन, जब इस सवाल के जवाब को टटोला गया तो हैरान करने वाली बात पता चली। इन तीनों के जुगाड़ काफी मजबूत हैं। एक सिर्फ दिल्ली के खास हैं तो दूसरे सिर्फ लखनऊ के चहेते और तीसरे लखनऊ और दिल्ली दोनों के। ऐसे में अब यह तो समय बतायेगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है और प्रदेश के नौकरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी किसके भाग्य में लिखी है।