World Endodontic Day: मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस में वर्ल्ड इंडोडोनिक्स डे का शानदार आयोजन

सुभाष रतूड़ी

राजधानी दिल्ली में स्थित देश के सुप्रसिद्ध मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस में सोमवार को वर्ल्ड इंडोडोनिक्स डे का शानदार आयोजन किया गया। इस मौके पर लोगों से अपने प्राकृतिक दांतों का विशेष देखभाल करने की अपील की गई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

MAIDS में वर्ल्ड इंडोडोनिक्स डे का आयोजन
MAIDS में वर्ल्ड इंडोडोनिक्स डे का आयोजन


नई दिल्ली: देश के सुप्रसिद्ध मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस (MAIDS) में सोमवार को वर्ल्ड इंडोडोनिक्स डे (World Endodontic Day) का शानदार आयोजन किया गया। इस मौके पर अस्पताल में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को डेंटल हेल्थ के बारे में जगरूक किया गया। इंस्टीट्यूट के पेशेंट ओपीडी में दांतों की देशभाल से संबंधित व्याखान, क्विज प्रतियोगिता, रंगोली आदि का आयोजन किया गया। सभी से अपने प्राकृतिक दांतों को बचाने और उनकी देखभाल की खास अपील की गई। 

‘वर्ल्ड एंडोडॉन्टिक्स डे’ के मौके पर प्रो. (डॉ.) तूलिका त्रिपाठी, निदेशक प्राचार्य, मौलाना आजाद डेंटल इस्टीट्यूट (एमएआईडीएस) ने डाइनामाइट न्यूज़ के साथ खास बातचीत में समय पर उचित उपचार न करने और देखभाल के अभाव कारण दंत क्षय (एंडोडॉन्टिक्स) दुनिया की सबसे व्यापक बीमारी है। बच्चे और युवाओं  बड़ी तादाद भी इसकी चपेट में आ रही है। 

एंडोडॉन्टिक्स के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. तूलिका ने कहा कि दंत क्षय के प्रबंधन में दंत चिकित्सा की शाखा एंडोडॉन्टिक्स की बड़ी भूमिका है। एंडोडॉन्टिक्स हमारे प्राकृतिक दांतों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, इस दिन को रोगी सहभागिता गतिविधियों के साथ मनाना आवश्यक है और लोगों को दंत क्षय के बारे में जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि दांत संबंधी किसी भी समस्या का संकेत मिलते ही हर व्यक्ति को शीघ्र डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिये।

डॉ. तूलिका ने कहा कि एमएआईडीएस इस समय विश्व स्तर पर सबसे बड़ा दंत चिकित्सा देखभाल प्रदाता संस्थान है।

यह भी पढ़ें | फार्मूला वन रेस की 11 फरवरी को मेजबानी करेगा हैदराबाद, जानिये इससे जुड़ी खास बातें

डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में प्रो. (डॉ.) रुचिका रूंगटा नवल, अध्यक्ष कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री विभाग एवं एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेंबर ऑफ इंडियन एंडोडॉन्टिक्स सोसायटी ने लोगों से अपने प्राकृतिक दांतों की खास देखभाल करने की अपील की। उन्होंने कहा दांतों की सड़न या दंत क्षरण आज दुनिया की बड़ी बीमारी है। दांतों की इन बीमारियों का इलाज दंत चिकित्सक या एंडोडॉन्टिक्स करते हैं। 

डा. रुचिका ने कहा कि आज दंत चिकित्सा की तकनीक में इतना सुधार हो चुका है कि हम काफी तरीके के दांतों का बचा सकते हैं। प्रतिवर्ष हम इस तरह के लाखों दांतों का बचाते हैं। हमारे आज के कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को ये बताना है कि आपका को प्राकृतिक दांत है, उसका कोई रिप्लेसमंट नहीं है। हम लोगों से अपील दांत संबंधी किसी भी समस्या के समाधान के लिये वे समय पर सामने आये, डॉक्टर के पास जाएं और अपने इन कुदरती दांतों को बचाएं।

डॉ. रुचिका ने बताया कि भारत में ओरल डिजीज (मौखिक रोगों) एक बहुत बड़ी समस्या है। मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज भारत में अग्रणी दंत चिकित्सा संस्थानों में से एक है और यह ओरल डिजीज को कम करने के मिशन में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है।

यह भी पढ़ें | बालासोर ट्रेन दुर्घटना मामले में सीबीआई ने तीन रेलकर्मियों को गिरफ्तार किया

प्रोफेसर (डॉ.) संगीता तलवार, पूर्व निदेशक-प्रिंसिपल MAIDS  और पूर्व अध्यक्ष, इंडियन एंडोडॉन्टिक सोसाइटी ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा कि दांतों को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां होती है। वर्ल्ड एंडोडॉन्टिक्स डे के आयोजन का यही उद्देश्य है कि लोगों को उनके प्राकृतिक दांतों के बारे में जागरूक किया जाये। उन्होंने कहा कि डाइट और साफ-सफाई का ध्यान रखकर हम अपने प्राकृतिक दांतों को बचा सकते हैं। कम से कम दो बार ब्रश करें। दांतों के अनुकूल खाना खाएं। कम से कम 6 महीने में भी यदि कोई व्यक्ति डॉक्टर के पास जाकर डेंटल चेकअप कराता है तो उसके दांत संबंधी बीमारियों से ग्रस्त होने के चांस बेहद कम हो जाते हैं।

डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल कोहली ने कहा कि अब वह समय आ गया है, जब लोगों को यह एहसास होने लगा है कि दांत उनके जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करने में कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी भूमिका केवल चबाने या बोलने तक ही सीमित नहीं है; वे किसी व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व और जीवन की गुणवत्ता को गहराई से प्रभावित करते हैं। इसलिये हर व्यक्ति को अपने दांतों की देखेभाल के लिये जागरूक होना जरूरी है।
 










संबंधित समाचार