जानिये, आखिर क्यों गर्माया अयोध्या विवाद..कहां से हुआ शुरू, कब होगा खत्म?

डीएन ब्यूरो

अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगले साल जनवरी तक एक बार फिर सुनवाई टल गई है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढें, आखिर क्या है अयोध्या विवाद प्रकरण

विवादित बाबरी मस्जिद (फाइल फोटो)
विवादित बाबरी मस्जिद (फाइल फोटो)


नई दिल्लीः राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले साल जनवरी तक टल गई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में तीन जजों की नई बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें जस्टिस कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल थे। इस मसले पर देश-दुनिया की नजरें टिकी हुई थी। इससे पहले इस मामले में पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की बेंच ने इस पर सुनवाई की थी।

डाइनमाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़ें क्या है राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से क्या निकलेगा समाधानः    

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले साल जनवरी तक टली

 

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1.    अयोध्या की विवादित भूमि पर मालिकाना हक किसका होना चाहिये इसको लेकर यह विवाद गर्माता जा रहा है। 

2.    2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था लेकिन इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। 

3.    1950 में गोपाल सिंह विशारद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अयोध्या मसले पर याचिका दायर की थी। इस याचिका में विवादित स्थल पर हिंदू रीति रिवाज से पूजा की इजाजत देने की मांग की गई थी।      

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विवादित मामले में सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती

 

4.    1959 में इस विवादित भूमि पर नियंत्रण के लिये निर्मोही अखाड़ा ने मांग की थी। यह मसला तब और गर्मा गया जब मुस्लिम सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी विवादित भूमि पर कोर्ट में अपना दावा पेश किया।  

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5.    2010 में इलाहाबाद कोर्ट ने इस विवादित भूमि को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन के हिस्से सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट के इस फैसले पर कोई भी राजी नहीं हुआ और सुप्रीम कोर्ट में तब इसे चुनौती दी गई। इसी पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जो अब अगले साल जनवरी तक टल गई है।
 










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