Uttarakhand: चंपावत के स्कूल में छात्रों का मध्याह्न भोजन न लेने का विवाद थामा, जानिये क्या थी वजह

डीएन ब्यूरो

सूखीढांग क्षेत्र के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में छठी से आठवीं के कुछ छात्रों द्वारा मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) लेने से इंकार करने से उपजा विवाद अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल शांत हो गया है पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मिड-डे मील को लेकर विवाद  (फाइल फोटो)
मिड-डे मील को लेकर विवाद (फाइल फोटो)


देहरादून: उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर में सूखीढांग क्षेत्र के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में छठी से आठवीं के कुछ छात्रों द्वारा मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) लेने से इंकार करने से उपजा विवाद अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल शांत हो गया है।

चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी जितेंद्र सक्सेना ने शनिवार को  बताया कि जिलाधिकारी समेत जिले के उच्चाधिकारियों के सामने छात्रों के अभिभावकों ने कहा कि मध्याह्न भोजन से बच्चों के इंकार का कारण जातिगत नहीं बल्कि उनकी चावल के प्रति अरुचि है।

उन्होंने कहा कि चंपावत के जिलाधिकारी  टनकपुर के उपजिलाधिकारी और वह स्वयं शुक्रवार को स्कूल गए थे जहां छठवीं से आठवीं के बच्चों के अभिभावकों को भी बुलाकर उनसे भोजन से इंकार का कारण पूछा गया।

सक्सेना ने बताया कि खाने से इंकार करने वाले बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चे घर पर भी चावल नहीं खाते  जबकि मध्याह्न भोजन में दाल सब्जी और चावल मिलता है।

यह भी पढ़ें | केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में नोट फेंकती महिला का वीडियो वायरल, जानिये इस मामले में ये बड़ा अपडेट

उन्होंने कहा हम लोगों ने बच्चों को समझाया कि अगर वे चावल नहीं खाते, तो दाल और सब्जी खाएं, लेकिन स्कूल में सबके साथ बैठकर खाना खाएं। हम अधिकारियों ने भी स्कूल के प्रधानाचार्य और बच्चों के साथ बैठकर खाना खाया। 

अधिकारी ने कहा कि यह मामला जातिगत नहीं है और मामले को बढ़ा चढ़ाकर बताया गया। उन्होंने कहा कि बच्चे दलित भोजनमाता के हाथ का बना खाने से मना नहीं कर रहे हैं  बल्कि उनके इंकार का कारण चावल खाने की इच्छा न होना है।

उन्होंने बताया कि ऐसे नौ बच्चे हैं, जिनमें ज्यादातर लडकियां हैं। इन बच्चों में से पांच ने पिछले माह ही कक्षा छह में दाखिला लिया है।

मुख्य शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जिलाधिकारी ने कहा है कि फिलहाल जिले में उपचुनाव के कारण आचार संहिता लागू है और इसके हटने के बाद इस बात की फिर समीक्षा की जाएगी कि समझाने का बच्चों पर कितना प्रभाव पड़ा।

यह भी पढ़ें | उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा की तारीखों का ऐलान, जानिये पूरा विवरण

पिछले साल दिसंबर में भी मध्याह्न भोजन को लेकर स्कूल में विवाद हो गया था जब बच्चों ने कथित तौर पर दलित भोजनमाता के हाथ का खाना खाने से मना कर दिया था। इस बारे में सक्सेना ने कहा कि उस समय सामान्य श्रेणी के बच्चों के अनुसूचित जाति की भोजनमाता सुनीता देवी के हाथ का बना खाना खाने से इंकार ​करने के जवाब में अनुसूचित जाति के बच्चों ने सामान्य श्रेणी की भोजनमाता विमला देवी के हाथ का खाना खाने से मना कर दिया था।

सक्सेना ने उन खबरों का भी खंडन किया कि स्कूल से बच्चों को निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसी बच्चे का स्कूल से नाम नहीं कटा है प्रधानाचार्य ने बच्चों को डराने के लिए केवल टीसी काटने का दिखावा किया था। यह भी बताया कि प्रधानाचार्य को भविष्य में ऐसा न करने की हिदायत दी गयी है। (भाषा)

 










संबंधित समाचार