Diwali Laxmi Puja: दीवाली पर कितने बजे घर आती है मां लक्ष्मी, जानिए पूजन विधि
रौशनी और खुशियों का महापर्व दीपावली समूचे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: आज देशभर में दीपावली (Diwali) का त्योहार (Festival) हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। पूरे देश में दीपावली को लेकर धूम मची है। बच्चे क्या बूढ़े सभी लोग दीपावली के रंग में रंगे है। हिंदू धर्म (Hindu) में दीपावली सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना गया है। हर कोई व्यक्ति दिवाली का बेसब्री से इंतजार करता हैं।
देशभर में दिवाली पर घरों को विशेष रूप से रौशनी और दीयों से सजाया जाता है और अमावस्या की रात को धन, सुख और समृद्धि के देवी माता लक्ष्मी (Lakshmi) की पूजा-अर्चना (Worshiping) होती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हर वर्ष दीपावली का त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि दो दिन रहेगी। कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्तूबर, गुरुवार को दोपहर बाद 3 बजकर 52 मिनट पर होगी और समापन तिथि 01 नवंबर को शाम को 06 बजकर 16 मिनट पर रहेगी, फिर प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।
जानकारी के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि दिवाली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आती हैं और जिन घरों में अच्छी साफ-सफाई, सजावट और पूजा-पाठ होता है वहां पर निवास करती हैं।
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शास्त्रों में दिवाली पर महालक्ष्मी का पूजन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में सबसे सर्वोत्तम माना गया है। प्रदोष काल के अलाव महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी का प्राकट्य अमावस्या तिथि के संध्याकाल में हुआ था इस कारण से दिवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल और रात्रिकाल निशीथ काल में होती है।
लक्ष्मी- गणेश पूजा का शुभ समय
दिवाली पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता की पूजा अमावस्या व्यापिनी तिथि और प्रदोष काल में करने की मान्यता है। 31 अक्तूबर को प्रदोषकाल की शुरुआत शाम 05 बजकर 36 मिनट से होगी जबकि इसका समापन शाम 08 बजकर 11 मिनट पर होगा। इसके अलावा लक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न बहुत ही शुभ और श्रेष्ठ माना जाता है। 31 अक्तूबर को वृषभ लग्न की शुरुआत शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 20 मिनट तक होगा।
इस तरह से 31 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 20 मिनट के बीच अच्छा रहेगा। कुल मिलाकर 31 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 32 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायी होगा।
लक्ष्मी पूजा विधि
दिवाली अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। दिवाली की रात को घरों को दीयों की रोशनी और रंगोली से सजाया जाता है। इसके अलावा धन, सुख और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की दिवाली की शाम के समय पूजन करने का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा को बहुत ही शुभ माना गया है।
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दिवाली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में आरंभ करनी चाहिए और लक्ष्मी पूजन के लिए घर का ईशान कोण और उत्तर दिशा सबसे शुभ होती है। सबसे पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई करके सभी सामग्रियों को एकत्रित करते हुए माता की चौकी स्थापित करें। फिर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद इस स्वास्तिक के ऊपर कटोरी में चावल रखें और चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाकर मात लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें।
इसके बाद सभी देवी-देवताओं का आवहन करते हुए गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा का संकल्प लें। फिर इसके बाद चौकी पर स्थापित माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर देव,माता सरस्वती और हनुमान जी को पुष्प, धूप, दीप और दिवाली से जुड़ी सभी पूजा सामग्री का भोग लगाएं। अंत में आरती करें और फिर घर के हर एक हिस्से में दीपक जलाएं और रोशनी, सुख-समृद्धि का पर्व मनाएं।
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