लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ ED व CBI की कार्रवाई नीतीश कुमार का बड़ा बयान, जानिये क्या कहा

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को बड़ा बयान दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार


पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि इस तरह की चीज़ें 2017 में भी हुई थी, जब वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोधी गठबंधन में थे।

यह टिप्पणी कर उन्होंने संकेत दिया है कि वह राजद की इस दलील से सहमत हैं कि प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ सीबीआई और ईडी की कार्रवाई “राजनीति से प्रेरित’’ है। यह 2017 में नीतीश के रूख से विपरीत है जब वह चाहते थे कि राजद भ्रष्टाचार के आरोपों पर पाक-साफ निकलकर आए।

जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) नेता ने इन अटकलों को भी खारिज किया है कि नीतीश मुद्दे पर जानबूझकर चुप हैं, क्योंकि उन्हें ‘भ्रष्ट’ राजनीतिक नेताओं का साथ देने पर अपनी ईमानदारी वाली छवि खराब होने की चिंता है और वह महागठबंधन से नाता तोड़ सकते हैं जिसमें राजद के अलावा कांग्रेस और वाम दल भी शामिल हैं।

नीतीश ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, “ मैं क्या कहूं जो लोग प्रभावित हो रहे हैं वे पर्याप्त प्रतिक्रिया दे रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “ ऐसी चीज़ें 2017 में भी हुई थी जब मैं इस तरफ (यानी भाजपा विरोधी गठबंधन में था)। अब मैं फिर से इधर हूं तो ये चीज़ फिर हो रही हैं।”

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उनका इशारा होटल के लिए भूमि से संबंधित मामले की ओर था जिसमें ईडी ने प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव को नामज़द किया था जो उस वक्त भी बिहार के उपमुख्यमंत्री थे। तब नीतीश ने राजद के युवा नेता से अपना पक्ष बताने को कहा था। यादव अब भी बिहार की गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं।

माना जाता है कि नीतीश ने पाक साफ साबित होने तक तब यादव से मंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा था। बाद में जदयू नेता ने मुख्यमंत्री के तौर पर खुद इस्तीफा दे दिया था और त्याग पत्र देने के 24 घंटे से भी कम वक्त में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।

नीतीश ने कहा, “ मैं (भाजपा के) उन लोगों के नाम नहीं लेना चाहता जो समर्थन की पेशकश लेकर मेरे पास आए थे, क्योंकि वह पार्टी में और हाशिए पर जा सकते हैं।”

जब पत्रकारों ने पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का नाम लिया तो वह चुप हो गए।

मुख्यमंत्री ने कहा, “ मैं सुशील कुमार मोदी के बारे में क्या कहूं। मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि मैं कभी नहीं चाहता था कि वह जिस स्थिति में है, वह उनकी होती, लेकिन मेरे खिलाफ बोलते रह रहें, उनका स्वागत है। शायद यह उन्हें राजनीतिक रूप से पुनर्जीवित कर दे।”

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नीतीश ने सीबीआई की ओर से दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र में जदयू के हस्ताक्षर नहीं होने को लेकर भी स्थिति साफ की और कहा, “ मैं वहां था जब सभी दलों ने अगला लोकसभा चुनाव (भाजपा के खिलाफ) मिलकर लड़ने का फैसला किया था।”

जदयू प्रमुख ने दोहराया, “ मेरी (प्रधानमंत्री पद के लिए) कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। मैंने यह भाकपा (माले)-एल के हालिया अधिवेशन में साफ किया है जहां महागठबंधन के सभी घटक मौजूद थे। मैंने तो कांग्रेस से कहा है कि वह विपक्षी एकता के लिए नेतृत्व करे।”

ईडी ने नौकरी के बदले जमीन ‘घोटाला’ मामले में धनशोधन संबंधी जांच के सिलसिले में शुक्रवार को बिहार के कई शहरों एवं कई अन्य जगहों पर छापेमारी की। छापेमारी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की तीन पुत्रियों व एक बहू और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं के परिसर में भी की गई।

इससे पहले इस सप्ताह के शुरू में सीबीआई ने प्रसाद और उनकी पत्नी से पूछताछ की थी।










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