Ekadashi Vrat 2025: अप्रैल में कब-कब पड़ेगी एकादशी? जानें पूजा विधि और महत्व

डीएन ब्यूरो

अप्रैल 2025 में पद्मिनी और पापमोचनी एकादशी व्रत का आयोजन भक्तों के लिए बहुत लाभकारी होगा। इन व्रतों के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में शांति, सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकता है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो
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नई दिल्ली: हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो बार एकादशी व्रत का आयोजन किया जाता है, जो भगवान विष्णु की उपासना के लिए विशेष महत्व रखता है। अप्रैल 2025 में दो एकादशी व्रत पड़ेंगे, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं। इस दिन उपवास और पूजा करने से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि व्यक्ति के सभी पापों का नाश भी होता है। 

अप्रैल 2025 में एकादशी व्रत

पद्मिनी एकादशी: पद्मिनी एकादशी का व्रत विशेष रूप से भक्तों द्वारा भगवान विष्णु की पूजा और उपासना के लिए किया जाता है। इस दिन उपवास रखकर, भक्त पूरे दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन का व्रत विशेष रूप से पापों के नाश और पुण्य की प्राप्ति के लिए लाभकारी माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी: पापमोचनी एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जिनका जीवन पापों से भरा हुआ हो। यह व्रत भक्तों को पापों से मुक्ति और आत्मिक शांति प्रदान करता है। पापमोचनी एकादशी के दिन व्रति विशेष रूप से ध्यान, उपासना और मंत्र जाप करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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एकादशी व्रत की पूजा विधि

प्रारंभ में स्नान करें: एकादशी के दिन व्रति सबसे पहले पवित्र जल से स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। यह शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांत रखता है।

भगवान विष्णु की पूजा करें: व्रति भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। इस दिन विशेष रूप से श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों का चित्र या मूर्ति पूजा में रखें और उन्हें फूल, दीपक, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।

व्रत रखें: एकादशी के दिन उपवास रखना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। व्रति दिनभर पानी, फल या बिना अन्न का सेवन करते हैं। किसी भी प्रकार के गलत कार्यों से बचने की कोशिश करें।

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भक्ति भाव से ध्यान और मंत्र जाप करें: एकादशी के दिन विशेष रूप से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ विष्णवे नमः" का जाप करें। यह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है।

रात को रात्रि जागरण करें: एकादशी की रात को जागरण करने की भी परंपरा है। भक्त रात भर भगवान के भजनों का गान करते हैं और भक्ति भाव से रात बिताते हैं। 

एकादशी व्रत का महत्व

एकादशी व्रत का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह शरीर और मन को शुद्ध करता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की उपासना का सर्वोत्तम तरीका है। यह व्रत पापों के नाश, आत्मिक शांति और भगवान की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। साथ ही यह व्रत मानवता की सेवा और आत्मसंयम को भी बढ़ावा देता है।










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