Maa Shailputri: नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें व्रत, भोग और आरती विधि
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व अत्यधिक है। इस दिन का व्रत रखने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर

नई दिल्ली: नवरात्रि का पर्व भारत में विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा का समय होता है। इस दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से शक्ति की उपासना और मां के पहले रूप की आराधना का होता है। मां शैलपुत्री का संबंध हिमालय पर्वत से है, और उन्हें देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता है। उनके व्रत और पूजा विधि का पालन करना भक्तों को सुख, समृद्धि और शक्ति प्रदान करता है।
मां शैलपुत्री का महत्व
मां शैलपुत्री का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – "शैल" (पर्वत) और "पुत्री" (बेटी)। यह उनका पर्वतीय उत्पत्ति का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को देवी पार्वती का पहला रूप माना जाता है। वह शारीरिक और मानसिक शक्ति की प्रतीक हैं और उन्हें पूजा करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। उन्हें दानवों और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
सही समय और स्थान का चयन: पूजा सुबह सूर्योदय से पहले या फिर दोपहर के समय की जाती है। इसे घर के किसी पवित्र स्थान पर जैसे मंदिर या पूजा स्थल पर किया जा सकता है।
साफ-सफाई और पवित्रता: पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और वहां दीपक या अगरबत्तियां रखें।
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मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र: पूजा के लिए मां शैलपुत्री की एक सुंदर मूर्ति या चित्र रखें।
ध्यान और मंत्र जाप: सबसे पहले मां शैलपुत्री के मंत्रों का "ॐ महा शैलपुत्रि महाक्रूरी महाशक्ते महादेवि स्वाहा" जाप करें और उनका ध्यान लगाएं।
भोग अर्पित करें: पूजा में घी, शहद, गुड़, फल और दूध का भोग अर्पित करें। इनका विशेष महत्व है और ये मां के आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
आरती और हवन: पूजा के बाद मां की आरती गाने से देवी की कृपा मिलती है। "शैलपुत्री आरती" गाएं और फिर हवन करें यदि संभव हो तो। हवन में घी और विशेष सामग्री का प्रयोग करें।
मां शैलपुत्री व्रत कथा
मां शैलपुत्री की व्रत कथा बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण है। कथा के अनुसार जब देवी पार्वती ने अपने पितामह हिमालय से विवाह करने का निर्णय लिया, तो उन्होंने एक कठिन तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान उन्होंने हिमालय पर्वत को अपना आश्रय बना लिया, जिससे उन्हें शैलपुत्री का नाम मिला। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से बलशाली बनता है। जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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मां शैलपुत्री के भोग और व्रत के लाभ
शक्ति और साहस की प्राप्ति: मां शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है।
कष्टों का निवारण: जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखते हैं, उनके जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं और उनका मार्ग प्रशस्त होता है।
संपत्ति और सुख: व्रत के दौरान देवी के भोग में गुड़, घी, शहद जैसे पौष्टिक पदार्थ अर्पित करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।