महराजगंज पाप कांड के दोषी IAS अमरनाथ उपाध्याय पर होगी FIR, विवेचना करेगी UP CBCID, तत्कालीन DM के कुकर्मों से नपेंगे NH, PWD, राजस्व, नगर पालिका और जिला प्रशासन के अफसर, पुलिसकर्मी भी लपेटे में
बुलडोजर मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश इस समय देश भर में मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। आम जनता में इसकी चर्चा कई दिनों से जोर-शोर से है। तत्कालीन DM अमरनाथ उपाध्याय के काले-कारनामों के कारण उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के कई बड़े अफसरों की नौकरी खतरे में है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
नई दिल्ली: 13 सितंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के जनपद मुख्यालय महराजगंज में स्थित देश के नामी पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश का दो मंजिला पैतृक मकान गैरकानूनी ढ़ंग से बुलडोजरों से ध्वस्त कराते वक्त दोषी आईएएस अमरनाथ उपाध्याय ने यह बात सपने में भी नहीं सोची होगी कि वह किससे टकरा रहा है। जब 4 बजे अचानक चारों तरफ से सैकड़ों पुलिस वालों ने मनोज टिबड़ेवाल के मकान को घेर लिया और दहशत मचाते हुए मकान के चारों तरफ की सड़क को बैरिकेडिंग से बंद कर बुलडोजरों से मकान धवस्त कराने लगे तभी मनोज टिबड़ेवाल ने कैमरों के सामने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि पापी अमरनाथ उपाध्याय को उसके कुकर्मों का अंजाम भोगना पड़ेगा और उसे अपना बचा हुआ जीवन देश की जांच एजेंसियों के चौखट पर नाक रगड़ते-रगड़ते काटना पड़ेगा। पांच साल बाद मनोज टिबड़ेवाल की यह बात अक्षरश: सत्य साबित हुई। देश और प्रदेश ही नहीं महराजगंज जनपद में हर जगह पिछले पांच दिन से इस मामले पर आये सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की चर्चा हो रही है।
पहले होगी FIR और फिर UP- सीबीसीआईडी करेगी विवेचना
सुप्रीम कोर्ट के लैंडमार्क जजमेंट के बाद एक महीने के अंदर दोषी IAS अमरनाथ उपाध्याय सहित उनके बहकावे में आकर अवैध ढ़ंग से पैतृक मकान ध्वस्त कराने वाले नेशनल हाइवे, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, नगर पालिका, जिला प्रशासन, सड़क निर्माण से जुड़े समस्त ठेकेदार व कर्मचारी तथा बिना परमिशन और वारंट के मनोज टिबड़ेवाल के घर के अंदर घुसने वाले तथा बीच सड़क पर बदसलूकी करने वाले सभी पुलिसकर्मियों पर संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज होगी। इस आपराधिक केस की विवेचना कोई जिला पुलिस नहीं करेगी बल्कि उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी UP- सीबीसीआईडी करेगी।
एक महीने के अंदर दंडात्मक मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सख्त लहजे में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि एक महीने के अंदर याचिकाकर्ता मनोज टिबड़ेवाल आकाश को 25 लाख रुपये का दंडात्मक मुआवजा दें। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस 25 लाख के अलावा मनोज टिबड़ेवाल हर तरह के मुआवजे को पाने के हकदार हैं जिसमें भूमि, दो मंजिला मकान का निर्माण, घर व दुकानों के समस्त सामानों के मुआवजे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त मनोज टिबड़ेवाल मानहानि, 5 साल के मानसिक व भावनात्मक उत्पीड़न, कानूनी क्षतिपूर्ति तथा अन्य मुआवजे पाने के हकदार हैं।
एक महीने के अंदर मुख्य सचिव शुरु करेंगे विस्तृत जांच
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आदेश जारी होने की तिथि से एक महीने के अंदर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अवैध ध्वस्तीकरण के मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय सहित नेशनल हाइवे, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, नगर पालिका, जिला प्रशासन, ठेकेदार तथा पुलिस वालों व अन्य दोषियों के खिलाफ जांच शुरु कर देनी है।
4 महीने के अंदर अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 4 महीने के अंदर जांच में पाये गये समस्त दोषियों के खिलाफ कठोरतम विभागीय व अनुशासनात्मक कार्यवाही पूरी करनी होगी और इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जांच करने के बाद कानून का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों की व्यक्तिगत जवाबदेही सुनिश्चित होगी तथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी। इस दंडात्मक कार्रवाई में निलंबन, सेवा से बर्खास्तगी, अनिवार्य सेवानिवृत्ति शामिल है।
13 सितंबर से एक भी दिन चैन से नहीं बैठ पाया है अमरनाथ
जिंदगी में पहली बार डीएम की कुर्सी पर बैठने वाला प्रमोटेड आईएएस पद के अहंकार में चूर था। उसे आभास ही नहीं हो रहा था कि 13 सितंबर को वह जो महापाप करने जा रहा है वह देश भर में महराजगंज पाप कांड के नाम से जाना जायेगा और देश भर में इस घटना की मिसाल दी जायेगी। इस अहंकारी को भगवान लगातार सजा दे रहे हैं। इसकी रिटायरमेंट में अब कुल 14 महीने बचे हैं। 13 सितंबर 2019 की घटना के बाद यह घमंडी सवा पांच साल में एक दिन के लिए भी किसी दूसरी जगह पर जिलाधिकारी के पद पर तैनाती नहीं पा सका और गर्दिश में अपनी जिंदगी दिव्यांग विभाग में एक छोटे से कोने में पड़ा-पड़ा काट रहा है।
घटना के चंद दिन बाद ही हो गया था निलंबित
याचिकाकर्ता मनोज टिबड़ेवाल ने अमरनाथ उपाध्याय को जब इसकी सही जगह पहुंचाने की ठानी तो अवैध विध्वंस के चंद दिन बाद ही 14 अक्टूबर को इसे शासन ने भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में निलंबित कर दिया। 8 महीने तक लगातार यह निलंबन की काल-कोठरी में सजा भुगतता रहा।
यह भी पढ़ें |
VIDEO: देखिये पांच साल पहले को वो वीडियो जिसमें मनोज टिबड़ेवाल आकाश के परिवार पर बुलडोजर से ढ़हाया गया था जुल्म
क्यों दिया था अमरनाथ ने घटना को अंजाम?
इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है कि आखिरकार डीएम ने जब 12 सितंबर को मनोज टिबड़ेवाल को फोन कर बता दिया था कि आप अपने मकान को सिर्फ 5 फीट तोड़ लें बाकी का मकान मुआवजा देने के बाद लिया जायेगा तो फिर क्यों अचानक इसने किस रहस्यमय दबाव में अपने 24 घंटे पहले के निर्णय को बदल दिया और धोखे से मनोज टिबड़ेवाल को अपमानित करने के लिए मकान को जमींदोज करा दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मनोज टिबड़ेवाल की बात पर लगी मुहर
पहले राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, फिर वरिष्ठ आईएएस और बस्ती के मंडलायुक्त अनिल कुमार सागर की स्थलीय जांच में अभिलेखिय दस्तावेजों के सत्यापन से मनोज टिबड़ेवाल की यह बात सच निकली कि उनका पैतृक मकान अतिक्रमण के दायरे में नहीं आता है और कानूनी तौर पर उनकी निजी जमीन 1960 में उनके दादाजी पीतराम टिबड़ेवाल ने रजिस्टर्ड बैनामे से खरीदकर मकान बनवाया था। इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने सही पाया। इससे यह साबित हो गया कि मनोज टिबड़ेवाल द्वारा कही गयी बात उस वक्त सौ फीसदी सही थी और जो लोग इसे अतिक्रमण बता रहे थे, उनका मुंह इस ऐतिहासिक फैसले के बाद काला हो गया है और इन लोगों की पोल समाज के सामने पूरी तरह से खुल गयी है।
महराजगंज के सभी 123 पीड़ित परिवारों को मिलेगा न्याय
महराजगंज से लेकर लखनऊ, इलाहाबाद और दिल्ली तक सुप्रीम कोर्ट में जो लंबी लड़ाई मनोज टिबड़ेवाल ने अकेले लड़ी उसका लाभ शहर भर के पीड़ितों को मनोज टिबड़ेवाल की याचिका में हुए आदेश से मिलने का मार्ग खुल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि 123 पीड़ित परिवारों के मकान को जबरन तोड़ने के लिए मजबूर करने वाले सभी अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें:
1. मनोज टिबड़ेवाल आकाश के नाम से आया यह फैसला देश भर में नजीर बन गया है। देश भर में जहां कहीं भी सड़क निर्माण के लिए मकानों व दुकानों के ध्वस्तीकरण की बात आयेगी वहां पर पहले सरकारें मनोज टिबड़ेवाल आकाश Vs यूपी सरकार 2024 के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों का पालन करेंगी। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) इस निर्णय की एक प्रति सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजेंगे ताकि सामान्य रूप से सड़क चौड़ीकरण के उद्देश्य से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में जारी किए गए निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
2. देश में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ किसी सरकार पर 25 लाख का भारी भरकम जुर्माना लगाया है।
3. सुप्रीम कोर्ट में 6 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ में 1 घंटे 40 मिनट तक सुनवाई चली।
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "यह बहुत मनमानी है। आप बुलडोजर लेकर नहीं आ सकते और रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते। आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते। घरेलू सामानों का क्या? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था” “यह पूरी तरह जंगलराज और अराजकता है।”
यह भी पढ़ें |
बुल्डोजर एक्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की देश भर के मीडिया में जबरदस्त कवरेज
5. “आप केवल ढोलकी (मुनादी) कराकर लोगों से घर खाली करने और उन्हें ध्वस्त करने के लिए नहीं कह सकते। उचित नोटिस दिया जाना चाहिए तथा पक्षों को सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिये।"
6. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यूपी के 25 करोड़ लोगों को राहत तो मिलेगी ही साथ ही देश भर के 140 करोड़ लोगों के साथ अब कोई बुलडोजर अत्याचार नहीं कर सकेगा।
7. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 पेज का विस्तृत फैसला सुनाया।
8. इस केस की सुनवाई देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा. डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डिवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय की खंडपीड ने की।
9. सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की हर दलील को तीनों जजों ने पूरी तरह से न केवल खारिज बल्कि जमकर सख्त टिप्पणियां भी की।