Maharashtra Elections: क्या उद्धव ठाकरे का चक्रव्यूह करेगा काम या और ताकतवर होकर निकलेंगे एकनाथ शिंदे?
महाराष्ट्र में अपनी सीट बचाने के लिए सभी दिग्गजों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) का चुनावी (Assembly Elections) समर जैस-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसमें कई ट्विस्ट सामने आ रहे हैं। सभी राजनीतिक दल (Political Party) और नेता एक-दूसरे को पछाड़ने के लिये पूरी ताकत लगा रहे हैं। दोनों गुटों में कई जगहों पर सीट शेयरिंग और उम्मीदवारों (Candidate) के चयन का मामला अंतिम समय तक फंसा रहा, वो इसलिये कि दोनों ही दल विपक्षी प्रत्याशी के कद और ताकत को देखने के बाद ही अपना उम्मीदवार उतारना चाहते थे ताकि मुकाबला बड़ा और बराबरी का हो सके।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार महाराष्ट्र की कई सीटों पर सीधे कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है।
जानकारी के अनुसार ऐसी ही एक हाई प्रोपाइल सीट है ठाणे जनपद की कोपरी पाचपाखाडी विधानसभा सीट, जहां से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि कोपरी एकनाथ शिंदे की पारंपरिक सीट है, जहां से वे 2009 से हर चुनाव जीतते रहे हैं। लेकिन इस चुनाव में उनके मुख्य प्रतिद्वंदी उद्धव ठाकरे कोपरी सीट पर ही एकनाथ शिंदे से हिसाब बराबर करना चाहतें हैं। इसके लिये उन्होंने अपनी खास सियासी योजना पर जबरदस्त काम भी किया और शिंदे को फंसाने को लिये जबरदस्त जाल विछाया।
केदार दिघे बनाम एकनाथ शिंदे
जाहिर है कि इस चुनाव के जरिये एकनाथ शिंद जहां अपनी ताकत का प्रदर्शन कर लगातार दूसरी पर बार सत्ता पर काबिज होने का प्रयास करेंगे वहीं उद्धव ठाकरे भी अपनी पार्टी में दो साल पहले पड़ी फूट का हिसाब भी चुकता करना चाहेंगे। इसलिये उद्धव ठाकरे ने उनकी सरकार का तख्तपलट कर मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे के खिलाफ उनके ही गुरू आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को मैदान में उतारा है।
उद्धव ठाकरे ने बिछाया जाल
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सूत्रों की माने तो गुरू भतीजा होने के कारण खुद एकनाथ शिंदे भी केदार दिघे को अपना भतीजा मानते हैं। लेकिन बदले सियासी हालातों के कारण केदार अब शिवसेना यूबीटी में हैं। उनका कभी भी शिंदे से इस तरह का कोई सीधा सामना भी नहीं हुआ। एक समय ठाणे के ठाकरे कहे जाने वाले आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को एकनाथ शिंदे के सामने खड़ा करके उद्धव ठाकरे ने इस चुनावी मुकाबले को रोचक बना दिया है और वे यहां शिंदे की जबरदस्त घेराबंदी में जुटे हुए हैं।
एकनाथ शिंदे और उनके प्रतिद्वंदी केदार दिघे के मुकाबले के बारे में बताने से पहले हम आपको बतायेंगे एकनाथ शिंदे के गुरू आनंद दिघे के बारे में, जिन्होंने शिंदे को हाथ पकड़कर सियासत की डगर पर चलना सिखाया। आनंद दिघे के मार्गदर्शन में ही एकनाथ शिंदे ने अविभाजित शिवसेना में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत किया। इसलिये आनंद दिघे का जिक्र किये बिना इस चुनावी समीकरण को समझना मुश्किल होगा।
बाला साहब ठाकरे का बेहद करीबी थे आनंद दिघे
आनंद दिघे शिवसेना के एक कद्दावर नेता रहे। उन्हें शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे का बेहद करीबी माना जाता था। आनंद दिघे को धर्मवीर के नाम से भी जाना जाता था। वे लंबे समय तक शिवसेना की ठाणे इकाई के प्रमुख रहे। उनकी पहचान एक शक्तिशाली और बाहुबली नेता के रूप में होती थी।
उनकी छत्रछाया में कई लोग महाराष्ट्र की राजनीति में आये और कद्दावर नेता बने, जिनमें महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल हैं। आनंद दिघे को एकनाथ शिंदे का राजनीतिक गुरू कहा जाता है और ये बात एकनाथ शिंदे आज भी कहते और मानते हैं। आनंद दिघे की सरपरस्ती में ही एकनाथ शिंदे ने शिवसेना और ठाणे में अपना राजनीतिक दबदबा कायम किया।
वे कई जनसभाओं में आनंद दिघे को याद करते हैं। शिंदे का कोई भी भाषण आनंद दिघे के जिक्र के बिना पूरा नहीं होता। उन्होंने आनंद दिघे के राजनीतिक जीवन पर पिछले दो वर्षों में दो फिल्में भी जारी कीं। आनंद दिघे की एक सड़क हादसे के बाद मौत हो गई थी लेकिन कई लोग उनकी मौत को एक साजिश और हत्या बताते हैं और इस पर आज भी सियासत होती है।
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ये भी एक दिलचस्प तथ्य है कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के राजनीतिक गुरु रहे आनंद दिघे के जीवन पर आधारित फिल्म ‘धर्मवीर’ का दूसरा हिस्सा पिछले दिनों सिनेमाघरों में रिलीज किया गया। यानि आनंद दिघे को भुनाने की भी इस चुनाव में पूरी कोशिशें हो रही हैं और दोनों ही गठबंधनों के नेता आनंद दिघे पर अपने-अपने हिसाब और सहूलियत से बयान देकर वोटों की फसल काटने की कोशिश कर रहे हैं।
अब आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को चुनावी मैदान में उतारकर उद्धव ठाकरे ने सीएम शिंद को फंसाने के लिये मजबूत सियासी जाल बिछाया है। उद्धव ठाकरे ने दिघे के भतीजे को शिंदे के खिलाफ उतारकर शिंदे समेत उनके गढ़ को कमज़ोर करने की पूरी कोशिश की है।
उद्धव ठाकरे ने अपने सियासी तरकश के इस खास सियासी तीर के जरिये अपने विरोधियों पर निशाना साधने के साथ ही शिवसेना के पुराने वफ़ादार कार्यकर्ताओं को भावनात्मक रूप से अपनी ओर खींचने की कोशिश की है। यानी एक तीर से कई निशाने। सीनियर दिघे के खास शागिर्द सीएम शिंदे अब जब उनके भतीजे केदार दिघे से मुकाबला कर रहे हैं तो उनकी मनोस्थिति क्या होगी, इसे भी आसानी से समझा जा सकता है।
इसके अलावा ये मुकाबला तब और भी रोचक हो जाता है, जब एकनाथ शिंदे भी खुद केदार दिघे को अपना भतीजा मानते हों। उद्धव ठाकरे ने सीएम शिंदे को उनके ही घर में घेरने के लिए केदार दिघे की उम्मीदवारी के रूप में जिस हथियार का इस्तेमाल किया है, वो कितना कारगर होगा, इसका पता 23 नवंबर को ही चल सकेगा, जब महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे हमारे सामने होंगे।
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