Maharashtra Poll: अखिलेश यादव के ‘चर्खा’ दांव और ‘M’ फैक्टर से घटक दल परेशान
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अपना दांव खेल दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मुंबई: दिवाली की खुशियों के बीच महाराष्ट्र के प्रमुख नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा रहीं हैं। महाराष्ट्र के राजनीतिक दल और प्रमुख नेता इस त्योहारी सीजन में भी वहां का सियासी समीकरण सुलझाने में जुटे हैं। समाजवादी पार्टी के एक दांव ने कई नेताओं और घटक दलों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।
सपा प्रत्याशियों की सूची में M फैक्टर सामने आने से सहयोगी दलों की बैचेनी बढ़ गई है। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन और महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी यानी एमवीए गठबंधन को सपा के इस दांव ने सबसे ज्यादा परेशान किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गठबंधन में सम्मानजनक तरीके से सीट न मिलने और एक तरह से उपेक्षा का शिकार होने के बाद समाजवादी पार्टी ने अपने तरकश का जो तीर चलाया, वो सटीक निशाने पर जा बैठा है। एमवीए और उसके नेताओं ने कभी इसके बारे में सोचा भी नहीं होगा।
अखिलेश यादव के तरकश से निकले दो तीर
एमवीए को सपा प्रमुख अखिलेश यादव की उस चेतावनी को नजरअंदाज करना अब महंगा पड़ गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे सम्मानजनक तरीके से लड़ना चाहते हैं लेकिन ये याद रखना चाहिये कि राजनीति में त्याग के लिये कोई जगह नहीं होती।
शायद एमवीए के नेता अखिलेश यादव के इस संदेश को सही तरीके से डिकोड नहीं कर पाये। सपा की अनदेखी और उपेक्षा के बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आखिरकार बागी रुख अपनाते हुए 9 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतार दिया। इससे बड़ा दांव सपा ने ये खेला कि उसके प्रत्याशियों की जो सूची सामने आई उसमें एम फैक्टर का सबसे ज्यादा प्रभाव है।
सपा का ये M फैक्टर सभी 9 सीटों पर सामने वाले का खेल बिगाड़ने का पूरा दमखम रखता है। सपा ने जिन 9 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें लगभग सभी सीटें मुस्लिम वोटर्स के प्रभाव वाली हैं। यानी इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता चुनावी खेल के बनाने और बिगाड़ने का पूरा माद्दा रखते हैं।
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सपा ने इन सीटों पर उतारे उम्मीदवार
सपा ने जिन सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है, उनमें भायखला, भिवंडी पूर्व, भिवंडी पश्चिम, धुळे शहर, मालेगांव मध्य, तुळजापूर, परांडा, औरंगाबाद पूर्व और मानखुर्द शिवाजी नगर शामिल है।
इनमें लगभग 80 फीसदी सीटें मुस्लिम बाहुल्य वाली है। यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या सियासी और रणनीतिक तौर पर बेहद प्रभावशाली मानी जाती है। सपा की सियासी रणनीति को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि उसके 9 उम्मीदवारों में 7 उम्मीदवार मुस्लिम हैं और इन सभी को मुस्लिम बाहुल्य सीटों से ही उतारा गया है।
महाराष्ट्र में 12 फीसदी आबादी मुस्लिम
महाराष्ट्र में लगभग 12 फीसदी यानी 1.5 करोड़ से अधिक आबादी मुस्लिम समुदाय की है। मुस्लिम समुदाय की ये आबादी महाराष्ट्र की कुल 288 में से 40 से 45 सीटों के नतीजे सीधे तौर पर प्रभावित कर सकती हैं। मुंबई की भी कुछ सीटों पर मुस्लिम मतदाता बेहद प्रभावशाली स्थिति में हैं।
यूपी के मुस्लिम प्रवासियों का मिलेगा प्लस प्वाइंट
खास बात ये कि मुस्लिम आबादी वाले इन क्षेत्रों में करीब 70 फीसदी उत्तर भारतीय मूल के मुस्लिम हैं। इनका सीधा संबंध उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। ये प्रवासी मुस्लिम, समाजवादी पार्टी के लिये सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट है। महाराष्ट्र में सपा के प्रदेश अध्यक्ष और तीन बार से लगातार विधायक चुने जा रहे अबू आसीम आजमी भी खुद उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से आते हैं। वे मूल रूप से आजमगढ़ के रहने वाले हैं, जहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव 2019 में खुद भी लोकसभा पहुंचे थे और इस समय सपा नेता धर्मेद्र यादव वहां से सांसद हैं।
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महाराष्ट्र में सपा के मौजूदा दो विधायक अबू आसिम आजमी और रईस शेख जिस मानखुर्द शिवाजी नगर और भिवंडी पूर्व से एमएलए हैं, वहां भी मुस्लिम वोटरों की अच्छी खासी संख्या है।
मुस्लिम बाहुल्य सीट है भायखला
यहां मुंबई की भायखला का जिक्र करना भी जरूरी है। ये सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है और ये वही ऐतिहासिक भायखला सीट है, जहां से मोहम्मद अली जिन्ना ने 1946 में भारतीय प्रांतीय चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। इस सीट पर हमेशा मुस्लिम प्रत्याशी का दबदबा रहा है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में 2019 में ये सीट पहली बार भाजपा-शिवसेना के खाते में गई। यहां से शिवसेना की यामिनी जाधव ने AIMIAM के वारिश पठान को हराया था। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 41 फीसदी से अधिक है लेकिन पिछली बार एक से अधिक मुस्लिम प्रत्याशियों के कारण ये सीट शिवसेना के खाते में गई।
अखिलेश यादव का ने खेला चरखा दांव
सपा ने महाराष्ट्र की 9 में से 7 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारकर जो दांव खेला है, राजनीति के जानकर उसे अखिलेश यादव का ‘चरखा दांव’ कह रहे हैं। चरखा दांव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की कुश्ती और उनकी राजनीति, दोनों के लिये चर्चित रहा है। इसमें पहलवान अपने विपक्षी की गर्दन और पैर को एक ही वक्त में काबू कर लेता है और उसे चरखे की पोजिशन में घुमाकर पटखनी देता है। अब अखिलेश यादव के इस चरखा दांव से सपा इन 9 सीटों पर एमवीए का गेम बिगाड़ सकती है।
अखिलेश का ये चरखा दांव एमवीए पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। वोटों में भारी बिखराव से एमवीए को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि नाम वापसी की अंतिम तारीख, 4 नवंबर तक अखिलेश यादव के इस दांव की स्थिति साफ हो सकेगी। बहरहाल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस चुनावी दांव ने एमवीए नेताओं की नींद में ख़लल तो डाल ही दिया है।
महाराष्ट्र की सियासी हलचल पर आज इतना ही। कल एक नये चुनावी मुद्दे के साथ हम फिर हाज़िर होंगे। तब तक मुझे दीजिये इजाज़त और आप देखते रहिये डाइनामाइट न्यूज़।
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