Manmohan Singh: सादगी और सौम्यता की मूर्ती थे पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह
देश के आर्थिक सुधारों के नायक और विश्व में आर्थिक मोर्चे पर बदलती तस्वीर के सूत्रधार पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के अवसान से समूचा देश शोकाकुल है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सादगी के प्रतीक थे। इतने ऊंचे पद पर आसीन होने के बाद भी वे अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले। वे हर परिस्थिति में सहज रहे और निस्वार्थ भाव से अनवरत अपनी सेवाएं देश को देते रहे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उनकी कथनी और करनी में प्रासंगिकता थी। वे बोलने में कम और काम पर ज्यादा विश्वास करते थे।
उनकी बनाई नितियों के बदौलत ही आज भारत को बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में अब विश्व स्तर पर बहुत अधिक सम्मान मिल रहा है।
उदार भारत के शिल्पकार और आर्थिक सुधारों के जनक ने देश को नई राह दिखाई। उन्होंने देश के विकास को रफ्तार दी। उनके योगदान को सभी भावभीनी श्रद्धाजलि अर्पित कर रहे हैं।
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उनकी सादगी और साफगोई के बदौलत ही देश विदेश की तमाम हस्तियां उनकी मुरीद थी।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जीवन देशवासियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा। एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने अलग-अलग स्तर पर भारत सरकार में सेवाएं दीं।
पीएम मोदी ने कहा कि जनता के प्रति देश के विकास के प्रति उनका जो समर्पण था, उसे हमेशा बहुत सम्मान से देखा जाएगा। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन ईमानदारी, सादगी का प्रतीक था।
उनकी सौम्यता, बौद्धिकता उनके जीवन की पहचान रही। उन्होंने कहा कि जब राज्यसभा में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था तो मैंने कहा था कि उनका बतौर सांसद समर्पण सीखने लायक है।
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राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने पर भी धैर्य नहीं खोया
राहुल गांधी ने जब अपनी ही सरकार का वह अध्यादेश पत्रकारों के बीच फाड़ा, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी, उस समय मनमोहन सिंह अमेरिका की यात्रा पर थे।
उन्हें जब इसकी जानकारी हुई तो बहुत तकलीफ हुई, लेकिन उन्होंने इसे सार्वजनिक नहीं होने दिया और खुद को संभाल लिया। इस मौके का फायदा भी कुछ दरबारियों ने उठाना चाहा, लेकिन मनमोहन सिंह ने उन सबको निराश कर दिया और सोनिया परिवार से अपने रिश्ते नहीं बिगाड़े।