Manmohan Singh: पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर समेत कई दिग्गज थे उनके मुरीद
देश के जाने माने अर्थशास्त्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह की कार्यशैली के बड़े-बड़े दिग्गज भी कायल थे। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: धुरविरोधी पार्टी के नेता होने के बाद भी पीएम नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर डॉ. मनमोहन सिंह की विनम्रता और उनकी साफगोई छवी के मुरीद थे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मनमोहन सिंह का व्यवहार ऐसा था कि पीएम नरेंद्र मोदी भी उनके कायल थे। अक्सर विरोधियों पर तंज कसने वाले मोदी भी उनकी दिल खोलकर प्रशंसा करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि मेरे मनमोहन जी से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन जब भी देश के लोकतंत्र की बात होगी, मनमोहन सिंह जी की चर्चा जरूर होगी। उन्होंने हमेशा देश के लिए मार्गदर्शक का काम किया। वो एक सांसद के तौर पर अपना कर्तव्य पूरा कर रहे थे।
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पीएम मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह 6 बार इस सदन को अपने मूल्यवान विचारों से नेता के रूप में और प्रतिपक्ष के नेता के रूप में भी बहुत बड़ा योगदान दे चुके हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मैं उस पल को नहीं भूल सकता, जब राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण बिल पर वोटिंग हो रही थी, ये सभी को पता था कि बहुमत होने के कारण वोटिंग का नतीजा सरकार के पक्ष में रहेगा, इसके बावजूद मनमोहन सिंह एक व्हीलचेयर पर सदन में आए थे। चुनाव में हिस्सा लेने व्हीलचेयर तक पर पहुंच गए।
आर्थिक नीति में उदारीकरण के जनक और विदेश नीति के वास्तुकार मनमोहन सिंह के कार्यों को विदेश में भी सराहा जाता है।
जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, तब एस जयशंकर विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (अमेरिका) थे। इसके चलते डॉ. जयशंकर भारत-अमेरिका के बीच हुए असैन्य परमाणु समझौते पर बातचीत करने और विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनाने वालों में प्रमुख व्यक्ति थे।
डॉ. सिंह के नेतृत्व में डॉ. जयशंकर ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से मंजूरी दिलाने में बहुत मेहनत की और दोनों को असैन्य परमाणु समझौते के वास्तुकारों के रूप में जाना जाता है।
इस सौदे का विरोध वामदलों द्वारा किया गया, लेकिन राजनीतिक दबाव के बावजूद मनमोहन सिंह पीछे नहीं हटे और इस सौदे को हकीकत बनाने के लिए मनमोहन सिंह ने साल 2008 में अपनी सरकार को भी दांव पर लगा दिया था।
मनमोहन सिंह के निधन पर ट्वीट करते हुए डॉ. जयशंकर ने लिखा कि भारतीय आर्थिक सुधारों के निर्माता माने जाने के साथ ही वे (मनमोहन सिंह) हमारी विदेश नीति में रणनीतिक सुधारों के लिए भी समान रूप से जिम्मेदार थे। उनके साथ काम करना मेरे लिए बेहद सौभाग्य की बात थी। उनकी दयालुता और शिष्टाचार को हमेशा याद रखूंगा।