Manmohan Singh: दुनिया ने लहराया देश का परचम, जानिए उनकी आर्थिक निति
मनमोहन सिंह की विशेषज्ञता के क्षेत्र वित्त और अर्थशास्त्र रहे, लेकिन विदेश नीति में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: यूं तो आर्थिक सुधारों का जनक नरसिंह राव को माना जाता है, लेकिन उसके सूत्रधार और अमल में लाने वाले तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ही थे। देश को आर्थिक संकट से उबारने में मनमोहन सिंह का महान योगदान था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भारत की विदेश नीति को आज पूरी दुनिया में सराहा जाता है, लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी जिस सफल विदेश नीति का संचालन कर रहे हैं, उसका आधार देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह ने ही तैयार किया था।
देश की विदेश नीति के लिए कुछ घटनाएं परिवर्तनकारी रहीं, जिनमें साल 1991 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश में आर्थिक उदारीकरण की घटना है, जिसने देश की विदेश नीति को नया आकार दिया।
पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद से भारत की विदेश नीति जिस दिशा में आगे बढ़ी थी, मनमोहन सिंह ने भी उसे उसी दिशा में जारी रखा और भारत को एक जिम्मेदार परमाणु हथियार संपन्न देश के रूप में स्थापित किया। यही वजह रही कि भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौता हुआ।
साथ ही मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से क्लीन-चिट मिली। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता भारत की ऊर्जा सुरक्षा और कूटनीतिक संबंधों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। इससे न सिर्फ भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली, बल्कि इसके जरिए भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का रास्ता भी खुला, जो आज नई ऊंचाइयों पर जा चुका है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार 2012 की जी-20 शिखर सम्मेलन में इन अति विशिष्ट राष्ट्राध्यक्षों में अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, जर्मनी जैसे देशों के शीर्ष नेता थे। जिसमें सारे वैश्विक नेता मनमोहन सिंह से जानना चाहते थे कि आखिर भारत ने 2008 की वैश्विक मंदी से खुद को कैसे बचाया। प्रधानमंत्री चिरपरिचित शैली में किसी शिक्षक की तरह उन्हें समझा रहे थे।
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उनकी वैश्विक पहचान का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है जब ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में रियो-20 पृथ्वी सम्मेलन में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन की द्विपक्षीय भेंट थी।
मनमोहन थोड़ी देर से पहुंचे और देरी के लिए खेद प्रकट किया, तो चीनी राष्ट्रपति ने गर्मजोशी से कहा, दुनिया के नामी अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री का स्वागत करना मेरे लिए गौरव की बात है।