मदर्स डे पर कानपुर से एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, सड़क से लेकर शहीद की मां कहानी...

विशाल शुक्ला

दुनिया का सबसे गहरा रिश्ता एक बच्चे का अपनी ‘मां’ के साथ होता है। ये वो रिश्ता है जिसे न सिर्फ दुनिया में बल्कि सभी धार्मिक ग्रंथों में सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। आज मदर्स डे है और डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने शहर के कोने कोने में जाकर महिलाओं से एक्सक्लूसिव बातचीत की और दुख दर्द को जाना।

शहीद कैप्टन आयुष यादव की मां को सम्मान
शहीद कैप्टन आयुष यादव की मां को सम्मान


कानपुर: मां हमारी ज़िंदगी में इतनी ख़ास होती हैं कि हर तकलीफ में सबसे पहले उनका ही ख्याल आता है। दुनिया के इसी सबसे खूबसूरत रिश्ते को सम्मानित करने के लिए एक दिन चुना गया है जिसे ‘मदर्स डे’ कहा जाता है। मां ही वो शब्द है जो किसी बच्चे के मुंह से निकला पहला शब्द होता है और माँ ही अपने बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए दिन रात एक कर देती हैं खुद भूखी सो जाए लेकिन अपने बच्चे को भूखा नही सोने देती। आज ‘मदर्स डे’ के दिन डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने शहर के कोने कोने पर जाकर कई मांओं से खास बातचीत की और उनके सुख दु:ख को जाना।

 

दो वक्त की रोटी के लिए दुकान चलाती 'मां'

सबसे पहले एक ऐसी मां मिली जो गोद में एक नन्हे से बच्चे को को लेकर दुकान चला रही थी जब उनसे बातचीत की गयी तो उन्होंने कहा कि बच्चों के पालन पोषण करने के लिए दिन रात ठेले पर मसाला चाय बेचती है ताकि दो वक्त की रोटी कमा सके। डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने जब उनसे पूछा कि आपको पता है कि आज मदर्स डे है तो जवाब मिला कि हमे सिर्फ होली, दीवाली पता है लेकिन मदर्स डे के क्या होता है यह नहीं पता।

 

इ-रिक्शा चलाकर बच्चों का पेट भरती है यह 'मां'

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डाइनामाइट न्यूज़ को कुछ माएं ऐसी भी मिली जो अपना घर चलाने के लिए ई-रिक्शा तक चलाती हैं। कड़ी धूप में सवारी भरकर लेकर जाने के पीछे सिर्फ एक ही कारण था कि बच्चों को शाम में कुछ अच्छा खाना दे सकें और उसका बच्चा चैन की नींद सो सके। हालात जैसे भी हो लेकिन एक मां अपने बच्चे के लिए हमेशा अच्छा ही सोचती है।

 

सड़क किनारे बच्चों के लिए भीख मांगती 'मां'

सफर के दौरान कुछ ऐसी माओं को देखा गया जो अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए रास्ते पर भीख मांग रही थी ताकि दो जून की रोटी का जुगाड़ कर सके।

 

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शहीद की मां को सम्मान

डाइनामाइट न्यूज़ की टीम मदर्स डे पर शहीद कैप्टन आयुष यादव के घर भी पहुंची जहां मदर्स डे के उपलक्ष्य में शहीद की मां को व्यापार मंडल के तरफ से सम्मानित किया जा रहा था इस मौके पर शहीद की मां भावुक नज़र आयीं और कुछ बोल नहीं सकी।

 

वैसे तो सिर्फ एक दिन मां को याद करने के लिए काफी नहीं है  मां को प्यार करने के लिए हर दिन खास है लेकिन मां को याद करने के लिए एक स्पेशल डे बनाया गया है जिसे मदर्स डे नाम दिया गया है डाइनामाइट न्यूज़ की तरफ से सभी मांओं को प्रणाम।










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