Queen Elizabeth II's Funeral: महारानी एलिज़ाबेथ की अंतिम विदायी की तैयारियां, ब्रिटेन में जुटेंगे कई राष्ट्रध्यक्ष, कई ताकतवरों को न्यौता नहीं, पढ़िये ये बड़े अपडेट
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को आखिरी विदाई देने के लिये कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों समेत 500 लोगों को निमंत्रण दिया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
लंदन: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को 19 सितंबर, सोमवार को आखिरी विदाई दी जाएगी। ब्रिटेन में महारानी एलिजाबेथ के अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गई है। उनकी अंत्येष्टि वेस्टमिन्स्टर ऐबे में होगी, जहां दुनिया भर के लगभग 2200 लोग महारानी एलिजाबेथ को विदाई देने के लिये मौजूद रह सकते हैं। ब्रिटेन में दशकों बाद राजपरिवार के सदस्यों और राष्ट्राध्यक्षों का इतना बड़ा जमावड़ा लगेगा।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार के मौके पर दुनिया के शाही परिवारों के साथ ही कई राष्ट्रध्यक्ष और गणमान्य लोग शामिल होंगे। महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए शाही परिवार द्वारा 500 लोगों को निमंत्रण भेजा गया है।
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ज़्यादातर नेताओं को कॉमर्शियल फ़्लाइट से आने के लिए कहा गया है। लंदन पहुंचने पर इन नेताओं को बस में बिठा कर पश्चिमी लंदन ले जाया जाएगा।
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इस बात की अटकलें है कि ओबामा दंपति और कुछ अन्य पूर्व राष्ट्रपतियों को निजी तौर पर निमंत्रण भेजा जा सकता है।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए लंदन जाएंगी। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी पुष्टि नहीं की है कि वो इसमें हिस्सा लेने लंदन जाएंगे या नहीं।
इस निमंत्रण का दूसरा पहलू यह भी है कि दुनिया के कुछ ताकतवर राष्ट्रध्यक्षों को इस मौके पर शामिल होने के लिये न्यौता नहीं भेजा गया है।
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ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को न्यौता नहीं भेजा गया है। इसके पीछे की वजह है रूस का यूक्रेन पर हमला किया जाना बताया जा रहा है। रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता भी साफ कर चुके हैं कि पुतिन का महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में जाने का कोई विचार नहीं है।
रूस के साथ ब्रिटेन ने बेलारूस (Belarus) को भी इस अहम मौके पर आमंत्रित नहीं किया है जबकि बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको रूसी राष्ट्रपति पुतिन के नजदीकी माने जाते हैं। इसके पीछे भी रूस-यूक्रेन की जंग ही मुद्दा है।
म्यांमार के किसी प्रतिनिधि को न्यौता नहीं भेजा गया है। इसी तरह कुछ अन्य देशों को भी न्यौता नहीं है।