बुल्डोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से कई लोगों को न्याय मिलने का रास्ता साफ

डीएन ब्यूरो

देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को बुलडोजर चलवाकर अवैध तरीके से मकान गिराने के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले से कई लोगों में न्याय की उम्मीद जग गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट



नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने बुधवार को बुल्डोजर चलवाकर मकान गिराने से जुड़े पांच साल पुराने मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश के लिये एक नजीर बन गया है। इसके साथ ही इस फैसले के कारण देश के कई लोगों में न्याय की उम्मीद भी जग गई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की खंडपीठ ने वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश की याचिका पर बुधवार को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद में 13 सितंबर 2019 को वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के पैतृक मकान को बुलडोजरों से बिना विधिक प्रक्रिया के गिराया गया था। जबकि उनका मकान पूरी तरह वैध जमीन पर बना था। इसी मामले को लेकर प्रशासनिक मशीनरी की मनमानी के खिलाफ मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने सुप्रीम कोर्ट में एक लेटर पेटिशन दाखिल की थी, जिसका सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया।

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पुलिस प्रशासन की टीम ने दहशत फैलाकर सड़क निर्माण के नाम पर इसी दौरान महराजगंज में अन्य कई लोगों को भी अपना मकान तोड़ने को मजबूर किया। पुलिस के भय से कई लोगों ने खुद अपने मकान ढ़हा दियेय़ लेकिन मनोज का मकान कानूनी तौर पर सही था इसलिये मनोज ने खुद अपना मकान नहीं तोड़ा और मनमानी करने वाले सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ने की ठानी। 

मनोज टिबड़ेवाल ने मानवाधिकार आयोग समेत कई विभागों से शिकायत की और सुप्रीम कोर्ट को भी पत्र लिखा। सरकार की जांच पर बस्ती के तत्कालीन कमीश्नर ने भी माना का मनोज टिबड़ेवाल के मकान को अवैध तरीके से ढ़हाया गया और इसके लिये महराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी को दोषी पाया।  

मानवाधिकार आयोग ने भी कई मर्तबा जांच में मनोज की शिकायत को सही पाया गया और मकान गिराये जाने को अवैध बताया।

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इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मनोज टिबड़ेवाल आकाश की पत्र याचिका का संज्ञान लिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार की रिपोर्ट समेत तमाम जांच नतीजों के आधार सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 

इस फैसले के बाद महराजगंज समेत देश में बड़ी संख्या में उन लोगों के लिये भी न्याय का रास्ता खुल गया है, जिनका मनमाना तरीके से बिना नोटिस दिये सरकार द्वारा जबरन मकान तोड़ा गया।        










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