Uttar Pradesh: फ़तेहपुर के नूरी जामा मस्जिद का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

डीएन ब्यूरो

यूपी के फ़तेहपुर में नूरी जामा मस्जिद के गिरने का मामल गरमाया हुआ है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

नूरी जामा मस्जिद पहुंचा हाईकोर्ट
नूरी जामा मस्जिद पहुंचा हाईकोर्ट


 फ़तेहपुर: जिले के ललौली कस्बे में बनी बाँदा सागर मार्ग में मस्जिद को गिराए जाने को लेकर PWD विभाग द्वारा एक माह पूर्व जारी की गई नोटिस के बाद भी इस मस्जिद को नही गिराया गया। आज मुतवल्ली ने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है जिसका फैसला 6 दिसंबर  को होना था। लेकिन किन्ही कारणों से फैसला नही आ सका। अब इसकी सुनवाई 13.12.2024 को सुनवाई होगी।

नूरी जामा मस्जिद के मुतवल्ली मोहम्मद मोइन खान ने कहा कि कोर्ट के फैसले का मेनी किया जाएगा। उनका कहना था 1839 में यह मस्जिद बनी थी यहां पहले रोड नहीं थी। यहां पूरी तरह से जंगल था। यह सड़क गांव के लोगों के लिए बनाई गई थी। उनके पास सारे रिकॉर्ड हैं जिसे कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। स्थानीय लोगो की मांग है कि बायपास निकाला जाए लेकिन मस्जिद को बना रहने देना चाहिए। 

नूरी जामा मस्जिद  के ध्वस्तीकरण का प्रकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि सड़क चौड़ीकरण को लेकर ये कदम उठाया गया है। यह मस्जिद 180 साल पुरानी बताई जा रही है

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नूरी जामा मस्जिद के गिरने का मामल अब गरमाया हुआ है। वहीं बताया जा रहा है कि 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद को सड़क चौड़ीकरण के चलते लोक निर्माण विभाग ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा।

सरकारी आदेश को चुनौती देते हुए ये प्रकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा है। बताया जा रहा है कि दायर याचिका पर 6 दिसंबर को सुनवाई होनी थी लेकिन किसी कारण वश मामला टल गया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मस्जिद कमेटी ने इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील सैय्यद अज़ीम उद्दीन के माध्यम दायर की गई याचिका में कहा कि इस कार्रवाई को तुरन्त रोका जाए। साथ ही इसे पुरातत्व स्थल के रूप में घोषित करते हुए 1958 अधिनियम के तहत संरक्षित किया जाए।

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मस्जिद कमेटी ने दावा करते हुए कहा है कि नूरी जामा मस्जिद 180 साल पुरानी है जो कि धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक केंद्र है।

मीडिया रिपोर्ट्स में उन्होंने कहा है कि एक बार इसको नष्ट करने के बाद इसकी ऐतिहासिक संरचनाओं को बहाल नहीं किया जा सकता है। इसके ध्वस्तीकरण से स्थानीय समुदाय को क्षति होगी।

हालांकि 6 दिसंबर की सुनवाई को टाल दिया गया है। अब 13 दिसंबर को सुनवाई होगी। 
 










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